देवभूमि उत्तराखंड से विशेष लगाव रखने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सात अक्टूबर को उत्तराखंड आ रहे हैं। इस दौरान वह जौलीग्रांट एयरपोर्ट के नए टर्मिनल और ऋषिकेश एम्स में आक्सीजन प्लांट का लोकार्पण कर सकते हैं। यह भी माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री अपने आराध्य बाबा केदार के दर्शन के लिए केदारनाथ भी जाएंगे। प्रधानमंत्री के प्रस्तावित दौरे को देखते हुए शासन-प्रशासन के साथ ही भाजपा भी तैयारियों में जुट गई है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का देवभूमि से खास लगाव तो है ही, केदारनाथ धाम के प्रति उनकी अगाध आस्था भी है। एक दौर में केदारनाथ के नजदीक ही उन्होंने तप किया था। यही कारण भी है कि जब भी समय मिलता है बाबा केदार की यह भूमि उन्हें देवभूमि खींच लाती है। कोरोनाकाल में प्रधानमंत्री यहां नहीं आ पाए थे। ऐसे में लंबे समय से यह चर्चा चल रही थी कि अब जबकि कोरोना संक्रमण के मद्देनजर स्थिति नियंत्रण में है तो प्रधानमंत्री यहां का रुख करेंगे। वह सात अक्टूबर को यहां आ रहे हैं।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने प्रधानमंत्री के सात अक्टूबर के उत्तराखंड दौरे की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड दौरे के दरम्यान प्रधानमंत्री के क्या-क्या कार्यक्रम रहेंगे, अभी इसका ब्योरा नहीं मिला है। यह भी संभव है कि प्रधानमंत्री कुछ महत्वपूर्ण कार्यों के लोकार्पण के बाद केदारनाथ जाकर दर्शन करें। जून 2013 की आपदा के बाद नए कलेवर में निखर रही केदारपुरी का पुनर्निर्माण प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल है। वह लगातार पुनर्निर्माण कार्यों की मानीटरिंग कर रहे हैं। केदारनाथ में प्रथम चरण के पुनर्निर्माण कार्य अब अंतिम चरण में हैं और वहां दूसरे चरण के कार्य शुरू होने हैं। ऐसे में माना जा रहा कि प्रधानमंत्री केदारनाथ में द्वितीय चरण के पुनर्निर्माण कार्यों का शिलान्यास भी कर सकते हैं। आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भी उनके इस दौरे को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
पीएम कर सकते हैं नवंबर में व्यासी जल विद्युत परियोजना का उद्घाटन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नवंबर में 120 मेगावाट की व्यासी जल विद्युत परियोजना का उद्घाटन करने के साथ ही लखवाड़ जल विद्युत परियोजना का शिलान्यास कर सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक व्यासी परियोजना का कार्य अब अंतिम चरण में है और सरकार प्रधानमंत्री के हाथों इसका उद्घाटन कराना चाहती है। इसी के दृष्टिगत कसरत की जा रही है। इस बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और ऊर्जा मंत्री डा हरक सिंह रावत ने इन परियोजनाओं की जद में आने वाले ग्रामीणों के पुनर्वास के सिलसिले में मंगलवार को अधिकारियों के साथ मंथन किया।
यमुना नदी पर व्यासी जल विद्युत परियोजना का निर्माण कार्य 2009 में शुरू हुआ था, जो अब पूरा होने को है। इसके साथ ही सरकार ने इसकी नजदीकी लखवाड़ जल विद्युत परियोजना का कार्य शुरू कराने की भी कवायद शुरू की है। इस बीच दोनों परियोजनाओं की जद में आ रहे ग्रामीणों के विस्थापन एवं पुनर्वास के मसलों का भी समाधान होना है। सूत्रों के मुताबिक स्थानीय ग्रामीण भूमि के बदले भूमि चाहते हैं, लेकिन ऐसा करना बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य है। ऐसे में सरकार की मंशा ये है कि प्रभावित होने वाले ग्रामीणों को उचित मुआवजा दिया जाए। सूत्रों ने बताया कि इन परियोजनाओं के पुनर्वास के सिलसिले में अधिकारियों से सभी पहलुओं पर विचार कर ठोस प्रस्ताव सरकार के समक्ष रखने के निर्देश दिए गए हैं।