उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने की घटना के कारण ‘असुरक्षित’ इमारतों को गिराने का काम शनिवार को मौसम में सुधार के साथ शुरू हो गया. अधिकारियों ने बताया कि दरार वाली इमारतों की संख्या बढ़कर 863 हो गई है. उन्होंने बताया कि यहां जेपी कॉलोनी के निकट जल प्रवाह को घटाकर 136 एलपीएम कर दिया गया है.आपदा प्रबंधन के सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘वहां (जेपी कॉलोनी) पानी का प्रवाह शुरू में 540 एलपीएम था. इसमें पर्याप्त कमी एक सकारात्मक संकेत है.’’ दो जनवरी से कॉलोनी के पास एक जगह से पानी बह रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘अब तक अंतरिम राहत के रूप में 242 प्रभावित परिवारों को 3.62 करोड़ रुपये की राशि वितरित की जा चुकी है.’’ उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में शुक्रवार को हुई बर्फबारी और बारिश के कारण ठंड बढ़ गई है, जिससे अस्थायी राहत शिविरों में रह रहे जोशीमठ के लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैंचमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने कहा था, ‘‘जोशीमठ में असुरक्षित होटलों और घरों को खराब मौसम के कारण अस्थाई रूप से बंद कर दिया गया है.’’ सिन्हा के अनुसार, जोशीमठ में भूमि धंसने के बाद 863 घरों में दरारें आ गई हैं और 269 परिवारों को अस्थाई राहत केंद्रों में स्थानांतरित कर दिया गया है. शनिवार सुबह मौसम साफ होने के साथ ही होटलों- मलारी इन और माउंट व्यू- तथा पीडब्ल्यूडी के निरीक्षण बंगले को ध्वस्त करने में ड्रिलिंग मशीन और बुलडोजर लगा दिए गए..