
Indian rupee money finance growth chart graph
प्रदेश में 65 में 12 विभाग ऐसे हैं, जिन्हें वित्तीय वर्ष 2023-24 के चार माह यानी जुलाई बीतने के बाद भी कुल बजट प्रविधान का 30 प्रतिशत से कम बजट स्वीकृत हो पाया। वहीं एक तिहाई वर्ष बीत गया, लेकिन 30 विभाग स्वीकृत बजट का एक तिहाई से कम खर्च कर पाए हैं। कृषि, ग्राम्य विकास, सिंचाई, लोक निर्माण, युवा कल्याण, चिकित्सा शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग इसमें सम्मिलित हैं।इसके बावजूद चालू वित्तीय वर्ष में बजट खर्च को बढ़ाने को सरकार के प्रयास रंग भी लाए हैं। इसी अवधि में 47.50 प्रतिशत बजट को स्वीकृति दी गई, जबकि इसमें से 36.82 प्रतिशत धनराशि खर्च की जा चुकी है। पहली छमाही यानी 30 सितंबर तक बजट खर्च को लेकर कई वर्षों बाद अच्छी तस्वीर सामने आ सकती है। विकास कार्याें और परिसंपत्तियों के निर्माण से संबंधित पूंजीगत मद में पहली छमाही में 4000 करोड़ खर्च करने का लक्ष्य चंद कदमों की दूरी पर है।अब तक 3200 करोड़ खर्च करने में सरकार को सफलता मिली है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस वित्तीय वर्ष में जुलाई माह तक कुल बजट 77407.08 करोड़ में से विभागों को 36800.11 करोड़ जारी किए गए। इनमें से 13550.71 करोड़ खर्च किए गए हैं।केंद्रपोषित योजनाओं के कुल बजट 15583.29 करोड़ में से विभागों को 4203.79 करोड़ जारी किए गए। इसमें से खर्च 1758.63 करोड़ हुए हैं।
यह स्वीकृति का 41.83 प्रतिशत है। बाह्य सहायतित योजनाओं के मद में कुल 1675.06 करोड़ के बजट में से 233.47 करोड़ विभागों को दिए जा चुके हैं। यह कुल बजट का 13.94 प्रतिशत है। इसमें से 54.87 करोड़ यानी 23.50 प्रतिशत ही खर्च हो पाया है।