
Hot summer or heat wave background, orange sky with clouds and glowing sun
अप्रैल महीने में ही देश के कई राज्यों में गर्मी ने कहर बरपा दिया है. कई शहरों का तापमान 45 डिग्री पार कर चुका है. देश के उत्तर प्रदेश, बिहार, वेस्ट बंगाल, ओडिशा और झारखंड जैसे राज्यों को हीट वेव का सामना करना पड़ रहा है. कैंब्रिज विश्वविद्यालय की एक रिसर्च के मुताबिक देश का 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा लू के प्रभाव से डेंजर ज़ोन में है. इसमें राजधानी दिल्ली भी शामिल है. बता दें कि राजधानी दिल्ली में गुरुवार को तापमान 38.5 डिग्री रहा है. मौसम विशेषज्ञ का कहना कि पिछले कुछ समय से देखा जा रहा है कि भारत के कई हिस्से हीटवेव की चपेट में आ रहे हैं. दिल्ली एनसीआर में हीटवेव की गतिविधियां देखने को मिली थी, लेकिन तापमान में थोड़ी सी कमी के कारण लोगों को दो दिनों से थोड़ी राहत मिल रही है.पिछले कुछ सालों से जिस तरह से हीटवेव की इंटेंसिटी और फ्रीक्वेंसी भारत में बढ़ रही है. इसकी वजह क्लाइमेट चेंज है. क्लाइमेट चेंज के कारण ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन बढ़ रहा है. हम फॉसिल फ्यूल के तरफ ज्यादा हैं. इसकी वजह से पृथ्वी का तापमान बढ़ता रहेगा, और इससे बचने का एक ही तरीका है, वो है पेड़. हमेज्यादा पेड़ लगाने की जरूरत है और इलेक्ट्रिक वाहनों पर जोर देने की आवश्यकता है. जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है. देश में प्रोडक्शन पर भी इसका असर पड़ता है, फसलों की पैदावार कम हो जाती है, इकॉनमी पर इसका बड़ा असर देखने को मिलता है.गर्मियों में शरीर में पानी की कमी हो जाती है. जिस कारण गर्मी में ज्यादा काम करने का सीधा असर आपके दिल पर पड़ता है. दिल की धड़कन भी सामान्य से तेज हो सकती है और अगरहार्ट रेट बढ़ता है तो दिल पर विपरीत असर पड़ता है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. जिस तरह ठंड के दिनों में ब्लड वेस्सल सिकुड़ने के कारण हार्ट को ब्लड पंप करने में मुश्किल आने लगती है, उसी तरह गर्मियों के दिनों में शरीर का तापमान बढ़ जाने के कारण भी हार्ट को अपना काम करने में दिक्कत आने लगती है.