उत्तराखंड मेंपौड़ी जनपद के रिखणीखाल और धुमाकोट तहसीलों में बाघ का आतंक बरकरार है। हालांकि जिला प्रशासन और वन विभाग की टीम आज बाघ को ट्रैंकुलाइज करने की तैयारी में जरूर हैं। पौड़ी जिला प्रशासन ने रिखणीखाल और धुमाकोट तहसीलों के बाघ प्रभावित लगभग 25 गांवों में नाइट कर्फ्यू के साथ ही धारा-144 भी लागू की है। तीन स्थानों पर बाघ को पकड़ने के लिए पिंजरे भी लगाए गए हैं और उसे ट्रैंकुलाइज करने के लिए वन विभाग की टीम भी सोमवार से तैनात है। स्थानीय लोगों के अनुसार यह एक बाघिन है और साथ में उसके दो बच्चे भी हैं।दरअसल रिखणीखाल की ग्राम पंचायत मेलधार के डल्ला गांव में 13 अप्रैल की शाम को खेतों में काम कर रहे वीरेंद्र सिंह (73) को बाघ ने मार डाला था। जिसके बाद से गांव के लोगों में दहशत फैल गई थी। तभी से गांव के आसपास दो बाघों की मूवमेंट भी बनी हुई है, जिसकी पुष्टि वन विभाग द्वारा किए गये ड्रोन सर्वे में भी हुई है। दूसरी ओर 25 किलोमीटर दूर नैनीडांडा के सिमली तल्ली के भेड़गांव पट्टी बूंगी में 15 अप्रैल की रात को बाघ ने सेवानिवृत्त शिक्षक रणवीर सिंह नेगी (75) को मार डाला था। वहीं डीएम डॉ आशीष चौहान ने भी देर रात प्रभावित गांव में पहुंचकर ग्रामीणों और अधिकारियों से वार्ता कर हालात का जायजा लिया। गढ़वाल वन प्रभाग के डीएफओ स्वप्निल अनिरुद्ध ने क्षेत्रवासियों से अनावश्यक बाहर ना निकलने की अपील की है। मेलधार के प्रधान खुशेन्द्र सिंह के अनुसार 2 बाघ गांव के आसपास लगातार दिखाई दे रहे हैं। सोमवार को तो दिन में बाघ ने एक पशु पर भी हमला किया था। एक बाघ गांव के आसपास ही नजर आ रहा है, दूसरी तरफ लैंसडाउन विधानसभा के गांव में 2 लोगों को निवाला बनाने और दहशत का पर्याय बने बाघ को नरभक्षी घोषित करने की मांग जोर पकड़ने लगी है। स्थानीय लोगों ने स्थानीय विधायक से भी मांग की है कि हमलावर बाघ के आतंक से इन गांवों को और ग्रामीणों को निजात दिलाई जाए।
वहीं वन विभाग की टीम बाघ को ट्रैंकुलाइज करने के लिए तैयार बैठी है लेकिन गन की रेंज से बाहर होने के कारण उसे बेहोश नहीं किया जा सका है। वन विभाग की टीम के अनुसार आज बाघ को हर हाल में ट्रैंकुलाइज कर लोगों को इसके आतंक से मुक्ति दिलायी जाएगी। बाघ पिंजरे के पास तक तो आ रहा है लेकिन उसके अंदर नहीं जा रहा है।