प्रदेश में मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। कभी यहां पर दरारों की वजह से लोग अपने घरों को छोड़ने पर मजबूर हो जाते हैं तो कभी वैज्ञानिकों द्वारा यहां पर तीव्र भूकंप की चेतावनी दे दी जाती है। इन सबसे इतर उत्तराखंड (Uttarakhand News) में एक और नई मुसीबत है जिसने सरकार को और वैज्ञानिकों को चिंता में डाल दिया है। उत्तराखंड में ग्लेशियर लगातार पिघल (Glaciers Melting) रहे हैंइस खबर ने एक्सपर्ट की भी चिंता बढ़ा दी हैं और वैज्ञानिकों ने कहा है कि इन ग्लेशियरों पर तेजी से नई झीलें बन रही हैं। अबतक कुल 77 झीलों का निर्माण हो चुका है। ताजा शोध के अनुसार ग्लेशियरों में 50 मीटर से अधिक व्यास के कई ग्लेशियर जिले बन चुके हैं और इन चीजों से बाढ़ का खतरा भी बढ़ सकता है। चमोली की आपदा भी ग्लेशियर के पिघलने की वजह से ही आई थी।
ग्लेशियर पिघलने की वजह भी जलवायु परिवर्तन ही है। तापमान अधिक होने की वजह से यह ग्लेशियर पिघल कर नदियों में तब्दील हो रहे हैं। जीआईएसए रिमोट सेंसिंग एवं सेटेलाइट के माध्यम से अध्ययन करने पर यह पता लगा है कि इनके आसपास कुल 77 झील मौजूद हैं, जिनका व्यास 50 मीटर से अधिक है।
36 झीलें मिलम में, सात गोंखा, 25 रालम में, तीन झीलें ल्वां में हैं, और छह झीलें मतोर्ली ग्लेशियर में मौजूद है।