उत्तराखंड के जोशीमठ को बचाने के लिए अब केंद्र सरकार ने अपना खजाना खोल दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने सबसे पहले जोशीमठ में सीवेज सिस्टम लगाने का फैसला किया है. नमामि गंगे परियोजना के तहत यहां घरों से निकलने वाले गंदे पानी की निकासी के लिए करीब 200 करोड़ की लागत से सीवेज सिस्टम लगाया जाएगा. चरणवद्ध तरीके से इस योजना के तहत पूरे जोशीमठ में छोटे छोटे कई सारे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगेंगे. गंदे जल के शोधन के बाद इन ट्रीटमेंट प्लांटों से निकलने वाले साफ पानी का इस्तेमाल सिंचाई में किया जाएगा.परियोजना से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक पहले चरण में 42 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. इस धनराशि से यहां 6.3 किमी लंबी ब्रांच सीवेज लाइन बिछाई जाएगी. इस लाइन से जोशीमठ शहर के 1848 घरों को कनेक्ट किया जाएगा. इसके लिए रफ डायग्राम तैयार हो गया है, लेकिन इसे अंतिम रूप देने के लिए उत्तराखंड जलनिगम गंगा इकाई गोपेश्वर की ओर से काम शुरू कर दिया गया है. अधिकारियों के मुताबिक जोशीमठ में भू धंसाव की एक वजह यहां सीवेज सिस्टम का अभाव भी बताया गया है. इसलिए सरकार इस समस्या को प्राथमिकता से लेते हुए इसके समाधान पर काम कर रही है. इस प्रोजेक्ट के तहत नमामि गंगे परियोजना में उत्तराखंड जलनिगम गंगा इकाई दो सप्ताह से सर्वे कर रही थी. इस सर्वे के मुताबिक पहले चरण में बिछाई जाने वाली लाइन से शहर के 1848 घरों को जोड़ा जाएगा.अधिकारियों के मुताबिक इस प्रोजेक्ट के तहत जोशीमठ शहर को दस से अधिक छोटे छोटे हिस्सों में बांट कर काम किया जाएगा. 42 करोड़ रुपये की लागत से पहले चरण में बिछाई जाने वाली सीवेज लाइन को यहां पहले से मौजूद दो पुराने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ा जाएगा. इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद दूसरा चरण शुरू होगा. वहीं अगले दो से तीन सालों में पूरे जोशीमठ को सीवेज लाइन से कनेक्ट कर दिया जाएगाजोशीमठ में पहले ही पांच किमी लंबी लाइन बिछाई जा चुकी है. इसके लिए वर्ष 2011 में काम शुरू हुआ था. साल 2017 तक पांच किमी क्षेत्र कवर तो हो गया, लेकिन लाइन का कनेक्शन नहीं होने की वजह से यह लाइन शोपीस बन कर रह गई है. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक इस लाइन से महज 10 फीसदी घरों को ही जोड़ा गया है. उत्तराखंड पेयजल निगम गोपेश्वर के परियोजना प्रबंधक एसके वर्मा के मुताबिक जोशीमठ नगर में सीवेज सिस्टम विकसित करने के लिए 200 करोड़ की कार्ययोजना तैयार की जा रही है. पहले चरण में 42 करोड़ रुपये की लागत से काम होगा.