उत्तराखंड में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन से अगस्त्यमुनि ब्लॉक के मरोड़ा गांव के लोगों के लिए आफत खड़ी हो गई है। यहां के लोग घरों में दरारें आने से खौफ में आ गए हैं। इसे देखर लोगों को अब किसी अनहोनी का डर सताने लगा है। यहां भी जोशीमठ की तरह ही हालात बन चुके हैं। प्रशासन इस प्रभावित गांव का जल्द ही विस्थापन करेगा। विस्थापितों को एक सप्ताह के भीतर मुआवजा देने की तैयारी प्रशासन के स्तर पर की जा रही है। मुआवजा देने के लिए प्रशासन को 21 करोड़ की धनराशि रेलवे की तरफ से दी जा रही है।इन दिनों जोशीमठ भूधंसाव का मामला देशभर में छाया हुआ है, अब अगस्त्यमुनी ब्लॉक का मरोड़ा गांव भी अब सुर्खियों में आ गया है। मरोड़ा गांव ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन निर्माण के कारण पूरा गांव आपदा की चपेट में है। गांव के नीचे टनल निर्माण से कई घर जमींदोज हो चुके हैं तो कई घर ढहने की कगार पर हैं। यहां अभी तक कई प्रभावित परिवारों को मुआवजा नहीं मिल पाया है। इसके चलते वे अभी भी अपनी और परिवारों की जान को खतरे में डाल कर टूटे और गिर चुके घरों में रह रहे हैं। ग्रामीणों को जल्द यहां से विस्थापित नहीं किया गया तो कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।हालात खराब होने देख ग्रामीणों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने गांव को खाली कर वहां रह रहे परिवारों को विस्थापन की तैयारी शुरू कर दी है। गांव में रहने वाले सभी 70 परिवारों को मुआवजा दिया जाएगा। इसके लिए रेलवे की ओर से प्रशासन को 21 करोड़ रुपए दिए गए हैं, जो प्रभावित परिवारों को वर्तमान सर्किल रेट से बढ़े हुए मुआवजे के रूप में वितरित किया जाएगा। अन्यत्र रह रहे करीब 27 परिवारों को किराए की राशि दी जा रही है। वहीं 10 से 12 परिवारों के लिए टिनशेड़ बनाए गए हैं। जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के अनुसार मरोड़ा गांव में 70 परिवार प्रभावित हैं। इनके लिए रेलवे से बात कर पूरी तरह से विस्थापन की प्रक्रिया शुरू की थी।
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February 17, 2025
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