जोशीमठ में भू धसाव और मकानों में दरार की घटना के बाद अब तहसील बड़कोट के बाडिया गांव के ग्रामीणों में भी दहशत का माहौल पैदा हो गया है. गांव के 35 से ज्यादा मकान और किसानों के ऐसे खेत हैं, जिनमें मोटी-मोटी दरारें आसानी से देखी जा सकती हैं. डर से किसानों ने दरार पड़े खेतों से खेती करनी छोड़ दी है. दरअसल, बाडिया गांव भूस्खलन की जद में 2010 के बाद से आना शुरू हुआ और 2013 में करीब 35 मकान भू धसाव से मकानों में दरारें आनी शुरू हो गई. आलम यह है कि हल्की सी भी बारिश शुरू होने के बाद ग्रामीण दहशत के माहौल में आ जाते हैं. इतना ही नहीं ग्रामीणों ने अपनी उपजाऊ खेती भी पूरी तरह से छोड़ दी है.ग्रामीणों का कहना है कि खतरे की जद में आने के बाद लगातार शासन से लेकर प्रशासन तक गांव के विस्थापन की मांग करते आ रहे हैं. लेकिन बार-बार उन्हें अनसुना कर दिया जाता है. लेकिन हाल ही में जो जोशीमठ से घटना सामने आई है इसके बाद से अब ग्रामीण भी दहशत में हैं कि बाडिया गांव की तस्वीर इससे ज्यादा भयावह न हो.यमुनोत्री नेशनल हाइवे के ठीक ऊपर बसा बाडिया गांव जिसके अस्तित्व को खतरा मंडरा रहा है. वर्ष 2013 की आपदा के दौरान यमुना नदी के उफान पर आ जाने से इस गांव के नीचे कटाव होने लगा था धीरे धीरे गांव के घरों में दरार आने लगी. वहीं यमुनोत्री धाम को जाने वाले एक मात्र नेशनल हाइवे भी धंसने लगा. हालांकि प्रशासन द्वारा रिवर साइट में प्रोटेक्शन वर्क से भू धसाव को कुछ हद तक रोका गया, लेकिन खतरा अभी भी बरकार है. इस गांव में करीब 100 से अधिक परिवार रहते हैं. गांव के लिए की जाने वाली बिजली सप्लाई के खंबे भी अब तिरछे हो गए हैं, वहीं जिलाधिकारी अभिषेक रोहिला भी मानते है कि ये संवेदनशील विषय है इसके संबंध में कार्यवाही गतिमान है.