उत्तराखंड के जोशीमठ में जो हो रहा है वह किसी त्रासदी से कम नहीं है. सैकड़ों मकानों में दरारें आ रही हैं. वहां की जमीनें धंसने लगी हैं. लोग पलायन करने लगे हैं. सैकड़ों परिवारों को वहां से कहीं और शिफ्ट किया जा रहा है. ऐसे में सबसे जेहन में एक ही सवाल उठा रहा है कि आखिर जोशीमठ में ऐसा हो क्यों रहा है? शुक्रवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धाम ने स्थिति का जायजा लेने के लिए हाई लेवल मीटिंग भी की थी.इस बैठक में कई तरह के निर्णय लिए गए. सीएम धामी ने लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने से लेकर उनके पुर्नवास तक के आदेश दिए. मीटिंग में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को जोशीमठ से करीब 600 परिवारों को तत्काल प्रभाव से वहां से निकालने और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का आदेश दिया. मुख्यमंत्री शनिवार को जोशीमठ जाएंगे, जहां वह प्रभावित लोगों से मिलेंगे और अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे.
- नगरपालिका द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के बाद पता चला कि एक साल में शहर में 500 से अधिक घरों में दरारें आ गई हैं. इसके बाद भी प्रशासन की तरफ से जब कोई सुध नहीं ली गई तब वहां के लोगों ने प्रशासन पर कोई सुधारात्मक कदम नहीं उठाने का आरोप लगाते हुए एक रैली निकाली.
- इसके तीन दिन बाद, यानी 27 दिसंबर को विशेषज्ञों की पांच सदस्यीय टीम ने शहर का मुआयना किया. इस टीम में वरिष्ठ अधिकारी, भूवैज्ञानिक विशेषज्ञ और इंजीनियर शामिल थे. उन्होंने उन इमारतों का निरीक्षण किया, जिनमें दरारें आई थीं. इसके अलावा अधिकारियों ने प्रभावित लोगों से बात की, जिनके मकानों में दरारें आई थीं. इसके बाद पांच सदस्यीय टीम ने जिला प्रशासन को अपनी प्रतिक्रिया दी.जोशीमठ के इमारतों और दीवारों में दरारें पहली बार 2021 में दर्ज की गईं थी क्योंकि चमोली में लगातार भूस्खलन और बाढ़ आ रही थी. रिपोर्टों के मुताबिक, उत्तराखंड सरकार के विशेषज्ञ पैनल ने 2022 में पाया कि जोशीमठ के कई हिस्से मानव निर्मित और प्राकृतिक कारकों के कारण सिंक हो रहे हैं.
पैनल के निष्कर्षों में कहा गया है जोशीमठ में भू-धंसाव का कारण अर्थ सरफेस, बेतरतीब निर्माण, पानी का रिसाव, ऊपरी मिट्टी का कटाव और मानव जनित कारणों से जल धाराओं के प्राकृतिक प्रवाह में रुकावट है. वहीं, स्टडीज ने वर्तमान स्थिति के लिए प्राकृतिक कारकों जैसे घिसी-पिटी चट्टानों, शहर का लोकेशन और मानव-प्रेरित तेजी से भवनों के निर्माण, पनबिजली परियोजनाओं और राष्ट्रीय राजमार्गों आदि को जिम्मेदार ठहराया है.जोशीमठ में कई मकानों में दरारें आने के बाद कम से कम 66 परिवार पलायन कर चुके हैं, जबकि अन्य को भी सुरक्षित क्षेत्रों में ले जाया जा रहा है. इलाके में हुए भूस्खलन ने 3000 से अधिक लोगों को प्रभावित किया है. जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एन के जोशी के मुताबिक, अब तक जोशीमठ के विभिन्न इलाकों में 561 मकानों में दरारें आ चुकी हैं.