उत्तराखंड सरकार ने आम जन की सुविधा के लिए अहम कदम उठाया है। आय प्रमाणपत्र की वैधता की अवधि छह माह के स्थान पर एक वर्ष कर दी गई है। अब आय प्रमाणपत्र एक अप्रैल से वित्तीय वर्ष के अंत, यानी 31 मार्च तक वैध होगा।
अपर राजस्व सचिव डा आनंद श्रीवास्तव ने सोमवार को इस संबंध में राजस्व परिषद आयुक्त एवं सचिव को आदेश जारी किए। आय प्रमाणपत्र सेवा का अधिकार, अधिनियम-2011 के अंतर्गत अधिसूचित है। छह महीने तक ही आय प्रमाणपत्र की वैधता होने की वजह से व्यक्तियों को परेशानी पेश आ रही थी। इस वजह से राजस्व परिषद ने इसकी अवधि बढ़ाने की संस्तुति की थी।
ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल पर अपलोड होगा नया प्रारूप
शासनादेश में कहा गया है कि प्रदेश में प्रत्येक नागरिक की आय में प्रति वर्ष परिवर्तन होता है। पर्वतीय क्षेत्रों में अधिकतर आय के साधन कृषि से संबंधित हैं। एक वर्ष की आय में खरीफ व रबी की फसल से ही आय का आकलन होता है। साथ में आय की गणना वित्तीय वर्ष एक अप्रैल से प्रारंभ होकर 31 मार्च तक की जाती है। इस वजह से सेवा का अधिकार अधिनियम के तहत अधिसूचित सेवा आय प्रमाण पत्र की वैधता अवधि को एक साल तक बढ़ाने को राज्यपाल ने स्वीकृति दी। शासन ने ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल पर आय प्रमाणपत्र का नया प्रारूप अपलोड करने के निर्देश दिए हैं।
सूचना कर्मचारी संघ ने रखा पक्ष
वेतन विसंगति समिति के सामने उत्तराखंड सूचना कर्मचारी संघ ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने समिति को विभाग में आ रही वेतन विसंगति के मसलों की जानकारी दी और इनका शीघ्र निस्तारण करने का अनुरोध किया। सोमवार को उत्तराखंड सूचना कर्मचारी संघ ने वेतन विसंगति समिति के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वर्तमान में जिला सूचना अधिकारी, सूचना अधिकारी, अतिरिक्त सूचना अधिकारी, अनुवादक एवं डाटा एंट्री आपरेटर का वेतन अन्य विभागों की तुलना में कम है। सूचना विभाग के लेखा संवर्ग के कार्मिकों को अन्य विभागों की भांति एसीपी का लाभ नहीं मिल पा रहा है। सहायक लेखाकारों की 30 साल से अधिक की सेवा के बावजूद पदोन्नति नहीं हो पा रही है।