सहकारिता की रीढ़ कही जाने वाली बहुद्देश्यीय प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियां (एमपैक्स) अब सशक्त होने जा रही हैं। इस कड़ी में सभी 662 एमपैक्स को कंप्यूटराइज्ड करने की मुहिम अंतिम चरण में पहुंच गई है और जल्द ही इसकी लांचिंग होगी। इसके अलावा समितियों को कई गतिविधियों से भी जोड़ा गया है। साथ ही सहकारी समितियों में कार्यरत सचिवों के लिए भी सेवा नियमावली बनाने की कसरत की जा रही है, जिसकी वे लंबे समय से मांग कर रहे हैं।
न्याय पंचायत स्तर पर गठित प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियों (पैक्स) के जिम्मे किसानों को खाद-बीज की समय पर उपलब्धता के साथ ही ऋण वितरण समेत कल्याणकारी योजनाओं के ग्राम स्तर तक क्रियान्वयन संबंधी कार्य हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में पैक्स मिनी बैंक के तौर पर भी कार्य कर रही हैं। कुछ समितियां सहकारी बाजार समेत अन्य गतिविधियां भी संचालित कर रही हैं। पैक्स की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए मौजूदा सरकार ने इन्हें एमपैक्स में उच्चीकृत किया। साथ ही इनके कंप्यूटरीकरण की मुहिम शुरू की, ताकि इनके कामकाज में पारदर्शिता बनी रहे और आमजन को भी लाभ मिले।
सहकारिता मंत्री डा धन सिंह रावत के अनुसार एमपैक्स को राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना के तहत सामूहिक खेती के माध्यम से फसलोत्पादन, साइलेज, अदरक, बीज उत्पादन, सेब संग्रहण एवं विपणन, सगंध खेती के क्लस्टर स्थापित करने संबंधी कार्य भी दिए गए हैं। समूहों के माध्यम से कृषक उत्पादक संगठन गठित किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि समितियों को सशक्त बनाने के लिए उठाए जा रहे इन कदमों के साथ ही इन्हें कंप्यूटराइज्ड करने का काम लगभग पूरा हो चुका है। जल्द ही मुख्यमंत्री के हाथों इसका उद्घाटन होगा।
उन्होंने बताया कि समितियों का कामकाज और बेहतर ढंग से चले इस कड़ी में समितियों में कार्यरत सचिवों के लिए सेवा नियमावली तैयार की जा रही है। इस बारे में विभिन्न परामर्शीय विभागों से राय लेकर मसौदा तैयार किया जा रहा है। कोशिश ये है कि कैबिनेट की अगली बैठक में इस बारे में प्रस्ताव रखा जाए।