अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद सामने आए संकट को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के साथ अफगानिस्तान के हालात पर बातचीत की। व्हाइट हाउस ने यह जानकारी दी है।
व्हाइट हाउस ने कहा कि उन्होंने हमारे राजनयिक और सैन्य कर्मियों द्वारा अपने नागरिकों, स्थानीय कर्मचारियों और अन्य कमजोर अफगानों को निकालने के लिए चल रहे प्रयासों पर चर्चा की।
बता दें कि 24 अगस्त यानी आज होने वाली जी-7 की वर्चुअल मीटिंग के होस्ट जो बाइडन ही हैं। इस दौरान अफगानिस्तान के हालात पर चर्चा होनी है। जी-7 की यह बैठक बुलाने की मांग ब्रिटेन की ओर से की गई है। अमेरिका के व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने रविवार को यह जानकारी दी।
साकी ने अपने बयान में कहा, ‘राष्ट्रपति जो बाइडन 24 अगस्त को जी-7 देशों के नेताओं के साथ वर्चुअल बैठक कर सकते हैं। ये नेता अफगानिस्तान के मामले में समन्वय बढ़ाने और पश्चिमी देशों का साथ देने वाले अफगानों को बाहर निकालने पर चर्चा करेंगे। साकी ने कहा कि जी-7 के नेता अफगान शरणार्थियों को मानवीय सहायता देने की योजनाओं पर भी विचार-विमर्श करेंगे।
10900 लोगों को बाहर निकाला
वहीं, व्हाइट हाउस ने बताया कि रविवार को काबुल से 10,900 लोगों को बाहर निकाला गया। 15 अमेरिकी विमानों ने करीब 6660 और 34 सहयोगी देशों के विमानों ने करीब 4300 लोगों को अफगानिस्तान से बाहर निकाला।
व्हाइट हाउस ने बताया कि14 अगस्त से अबतक 48 हजार लोगों को निकाला जा चुका है। जुलाई के अंत से अब तक करीब 53 हजार लोगों को दूसरी जगहों पर बसाया गया है।
जॉनसन का बयान
इससे पहले ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन ने ट्विटर पर कहा था, ‘अंतरराष्ट्रीय समुदाय लोगों को सुरक्षित निकालने, मानवीय संकट को रोकने और पिछले 20 वर्षों की मेहनत को सुरक्षित करने के लिए अफगान लोगों का समर्थन करने के लिए मिलकर काम करने की जरूत है।’ ब्रिटेन इस साल जी-7 देशों की अध्यक्षता कर रहा है। इस समूह में ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका शामिल है।
अफगान पॉलिसी पर कॉमन अप्रोच की बताई जरूरत
व्हाइट हाउस के मुताबिक, इस बातचीत के दौरान जो बाइडन और बोरिस जॉनसन ने 24 अगस्त को होनी वाली जी-7 की वर्चुअल मीटिंग के बारे में भी बात की। दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान के हालात से निपटने के लिए आपसी सहयोग और कॉमन अप्रोच के बारे में चर्चा की। साथ ही अफगानिस्तान की पॉलिसी पर मिलकर काम करने पर भी जोर दिया। गौरतलब है कि बाइडन प्रशासन अफगानिस्तान से अमेरिकी फौजों को निकालने को लेकर कड़ी आलोचना से गुजर रहा है।
अपने लोगों को निकालने में जुटे हैं सभी
अमेरिकी फौजों की अफगानिस्तान से 31 अगस्त तक वापसी की तारीख तय होने के बाद से ही तालिबान लगातार हमलावर हो गया। इसके बाद देखते ही देखते तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा भी कर लिया। कब्जे के बाद से लगातार अफगानिस्तान में हालात खराब हैं। बड़ी संख्या में लोग देश छोड़कर भागने के लिए तैयार हैं। वहीं अमेरिका सहित कई देशों के लोग अपने-अपने नागरिकों और अधिकारियों को वहां निकालने में जुटे हुए हैं।