गृह मंत्रालय के तहत आने वाले एक संस्थान की ओर से गठित विशेषज्ञ समिति ने आशंका जताई है कि देश में सितंबर और अक्टूबर के बीच कभी भी कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है। इसके साथ ही समिति ने टीकाकरण की रफ्तार को तेज करने का सुझाव भी दिया है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआइडीएम) की ओर से गठित विशेषज्ञ समिति ने यह भी कहा है कि बच्चों को वयस्कों के समान जोखिम होगा। बड़ी संख्या में बच्चों के संक्रमित होने की स्थिति में बाल चिकित्सा अस्पताल, डाक्टर और उपकरण जैसे वेंटिलेटर, एंबुलेंस आदि की उपलब्धता मांग के अनुरूप नहीं हो सकती है।
…तो आ सकते है छह लाख मामले
प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंपी गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में सिर्फ 7.6 फीसद (10.4 करोड़) लोगों का ही पूर्ण टीकाकरण किया गया है। अगर वर्तमान टीकाकरण दर में वृद्धि नहीं की गई तो देश में महामारी की अगली लहर के दौरान प्रति दिन छह लाख मामले आ सकते हैं।
तब तक बढ़ते रहेंगे मामले
रिपोर्ट के मुताबिक, प्रमुख विशेषज्ञों ने बार-बार भारत में कोरोना की तीसरी लहर आने की चेतावनी दी है। महामारी विशेषज्ञों ने आशंका व्यक्त की है कि जब तक हममें टीकाकरण या संक्रमण के जरिये व्यापक रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं हो जाती, तब तक मामले बढ़ते रहेंगे।
बड़ी आबादी में इम्यूनिटी विकसित होना जरूरी
रिपोर्ट में कहा गया है कि 80-90 फीसद आबादी में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने पर ही बड़े पैमाने पर रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने का लक्ष्य हासिल किया सकता है।
इस तरह आ सकती है हर्ड इम्युनिटी
रिपोर्ट के मुताबिक, अगर 67 फीसद आबादी में वायरस के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता (कुछ में वायरस के जरिये और शेष में टीकाकरण के जरिये) विकसित हो जाती है तो बड़े पैमाने पर हर्ड इम्युनिटी का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
नए वैरिएंट से बढ़ी मुश्किल
विशेषज्ञों ने कहा कि सार्स कोव-2 के नए और अधिक संक्रामक वैरिएंट सामने आने के बाद यह जटिल हो गया है। वायरस के ये स्वरूप पहले हुए संक्रमण से बनी रोग प्रतिरोधक क्षमता से बच सकते हैं। कुछ मामलों में ये मौजूदा टीकों से भी बच सकते हैं।