उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड बिजली जरूरतों को सस्ती दरों पर पूरा करने के लिए पहली बार मिड टर्म बिजली खरीद करार करने जा रहा है। नियामक आयोग की मंजूरी मिलने पर राज्य की बिजली व्यवस्था के लिए यह कदम बेहद अहम साबित होगा। इससे ऊर्जा विभाग को एडवांस भुगतान कर ऊंची दरों पर बिजली खरीदने से राहत मिलेगी।यूपीसीएल सस्ती दरों पर 500 मेगावाट बिजली की खरीद कर सकेगा। इससे उपभोक्ताओं पर बढ़ती दरों का बोझ घटेगा।वर्तमान में उत्तराखंड को औसतन 2000 मेगावाट बिजली की प्रतिमाह जरूरत होती है। गर्मी या त्योहारी सीजन में यह मांग 2200 से 2500 मेगावाट तक पहुंच जाती है।राज्य की अपनी जल विद्युत परियोजनाएं केवल 60 से 65 प्रतिशत जरूरत ही पूरी कर पाती हैं। शेष बिजली यूपीसीएल पड़ोसी राज्यों और बिजली एक्सचेंज से ऊंचे दामों पर खरीदता है, जिससे हर साल करोड़ों रुपये का अतिरिक्त बोझ बनता है। अभी यूपीसीएल बिजली खरीद के लिए दीर्घकालीन करार किए हुए है।इसके अलावा दैनिक जरूरतों के अनुसार बिजली एडवांस देकर खरीदता है। इससे बिजली महंगी पड़ती है, इसलिए अब यूपीसीएल मिड टर्म करार करने जा रहा है। इसमें तीन से पांच वर्ष की अवधि के लिए तय दर पर बिजली खरीदी जाएगी। इससे बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव का असर निगम की वित्तीय स्थिति और उपभोक्ताओं के बिल पर नहीं पड़ेगा।

