अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिए नदियों पर होने वाला खनन अब दिन-रात विभाग की नजरों में रहेगा। इतना ही नहीं, जिन वाहनों से खनन सामग्री का ढुलान होगा, उसकी सभी गतिविधियां विभाग की निगरानी में रहेंगी। इसके लिए औद्योगिक विकास (खनन) विभाग ने प्रदेश के चारों मैदानी जिले यानी देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर व नैनीताल में नाइट विजन ड्रोन कैमरों का इस्तेमाल करने का निर्णय लिया है। साथ ही खनन सामग्री की ढुलान में लगे वाहनों में जीपीएसयुक्त चिप लगाए जाएंगे। जिससे वाहनों की आवाजाही पर नजर रखी जा सकेगी।
राज्य में खनन सामग्री से मिलने वाले राजस्व को आय का एक बढ़ा स्रोत माना जाता है। गत वर्ष विभाग ने 1050 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व प्राप्त किया था। जो निर्धारित राजस्व लक्ष्य से अधिक था। इस वर्ष भी विभाग का राजस्व लक्ष्य 950 करोड़ रुपये रखा गया है। इस लक्ष्य को पाने के लिए विभाग अवैध खनन पर अब पूरी तरह अंकुश लगाने की दिशा में कदम उठा रहा है।
बरसात के बाद दूसरे चरण की खनन प्रक्रिया एक अक्टूबर से शुरू हो जाती है। यद्यपि, पर्वतीय क्षेत्रों में स्वीकृत खनन क्षेत्रों में पानी के जमा होने के कारण इसे शुरू करने में थोड़ा समय लग रहा है। इस बीच विभाग ने खनन की व्यवस्था को पारदर्शी बनाने और अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। इस कड़ी में प्रदेश में अभी 25 स्थानों पर चेकगेट लगाए गए हैं। इन चेकगेट पर सीसी कैमरे लगा रखे हैं जो यहां से गुजरने वाले वाहनों की सामग्री पर नजर रखते हैं। साथ ही विभाग ने वाहनों पर जीपीएस लगाया है।
