उत्तराखंड में जल्द मदरसों का सर्वे शुरू होगा. दरअसल राज्य सरकार प्रदेश में मदरसों की स्थिति जानने को लेकर जल्द ही सर्वे का काम शुरू कराएगी. इसके तहत मदरसों के नाम पर कहां क्या चल रहा है इसकी जांच की जाएगी. वहीं मदरसों को स्कूलों की तरह चलाने का भी एक्शन प्लान बनाया जा रहा है. हालांकि मदरसों को लेकर सरकार का नया प्लान कांग्रेस नेताओं के गले नहीं उतर रहा है.
बता दें, देवभूमि में एक हजार से ज्यादा मदरसे चल रहे हैं. लेकिन, मदरसों में धार्मिक शिक्षा के नाम पर, क्या चल रहा है ? इसके सर्वे की तैयारी हो चुकी है, सरकार की हरी झंडी मिलते ही काम शुरू हो जाएगा.
उत्तराखंड में इस वक्त 419 मदरसे मदरसा बोर्ड चला रहा है, 103 मदरसे वक्फ बोर्ड के हैं और करीब 500 मदरसे प्राइवेट हैं.ऐसे में इस सर्वे के साथ सरकार का प्लान मदरसों में एजुकेशन सिस्टम सुधारने का भी है. ताकि यहां पढ़ने वाले बच्चों को भी स्कूल जैसा माहौल मिल सके. इतना ही नहीं सरकार का प्लान बच्चों को कंप्यूटर थमाने से लेकर एनसीसी और स्काउट से जोड़ने का भी है. सूत्रों का दावा है कि नए फैसले से सरकार, मदरसों की आड़ में चलने वाली कट्टर पंथ की दुकान बंद करना चाहती है. उत्तराखंड में ज्यादातर मदरसे मैदानी इलाकों में है, जहां मुस्लिम आबादी भी ज्यादा है और बॉर्डर यूपी से लगता है. ऐसे में सरकार की कोशिश, सर्वे के जरिए अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाने की है, ताकि देवभूमि में कट्टरपंथी सोच ना पनपे.लेकिन, मदरसों को एडवांस बनाने का प्लान कांग्रेस के मुस्लिम विधायक के समझ नहीं आ रहा है और वे इस प्लान को गलत बता रहे हैं. अभी मदरसों के सर्वे की सिर्फ तैयारी हुई है, मदरसों को स्कूल जैसे बनाने के प्लान पर काम शुरू हुआ है, पर दोनों बातों ने उत्तराखंड में कांग्रेस नेताओं को बैचेन कर दिया है. हरिद्वार, उद्मसिंह नगर जैसे जिलों में, राजनीति करने वाले नेताओं की टेंशन बढ़ गई है कि आखिर मदरसों के नाम पर बीजेपी की सियासत का जवाब कैसे दिया जाए.