करुणा कोई छोटी या मनोरम भावना नहीं है। यह अधिकांश समस्याओं का उत्तर है। करुणा एक अंतर्निहित गुण है, जिसे समय के साथ बदला जा सकता है, लेकिन इसे किसी में आत्मसात नहीं किया जा सकता। यह बातें देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल (डीडीएलएफ) में समाज सुधारक और लेखक कैलाश सत्यार्थी ने कहीं।शुक्रवार को दून इंटरनेशनल स्कूल, रिवरसाइड कैंपस में डीडीएलएफ के पांचवें संस्करण की शुरुआत हो गई। तीन दिवसीय साहित्यिक समारोह का उद्घाटन कैलाश सत्यार्थी, डीजीपी अशोक कुमार, गुरुचरण दास, डीएस मान, समरांत विरमानी और रणधीर अरोड़ा ने किया। पहले दिन लेखक रस्किन बॉन्ड और उत्तराखंड पुलिस के महानिदेशक अशोक कुमार की ओर से नोबेल पीस पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी की पुस्तक ‘व्हाय डिडन्ट यू कम सूनर?’ का विमोचन हुआ। रस्किन बॉन्ड को डीडीएलएफ और डीजीपी अशोक कुमार की ओर से लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड भी दिया गया। डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि कैलाश सत्यार्थी एक सच्चे नायक, नोबेल पुरस्कार विजेता और बालश्रम के खिलाफ लड़ाई में आशा की किरण हैं। उनका काम सराहनीय है। उत्तराखंड पुलिस, हर बच्चे को बालश्रम की जंजीरों से मुक्त कराने के अपने मिशन, ‘ऑपरेशन मुक्ति’ में एकजुट हैं। पहले सत्र के बाद गुरुचरण दास और मिली ऐश्वर्या की ओर से ‘अनदर सॉर्ट ऑफ फ्रीडम’ सत्र हुआ। इस दौरान गुरचरण दास ने जीवन के उद्देश्य पर बहुमूल्य अंतर्दृष्टि साझा की और लोगों से अपने जुनून को जानने का आग्रह किया।
