चकराता वन प्रभाग की कनासर रेंज के जंगल में बड़े पैमाने पर काटे गए संरक्षित प्रजाति के देवदार और कैल के पेड़ों के मामले में कार्रवाई शुरू हो गई है। इस मामले में प्राथमिक जांच के बाद कनासर रेंज के वन क्षेत्राधिकारी, दो वन दरोगा और तीन वन रक्षकों को निलंबित किया गया है। उधर, पूरे प्रकरण की प्राथमिक जांच वन मुख्यालय को सौंपी जा चुकी है। जो परीक्षण के बाद शासन को भेजी जाएगी। इसमें वन प्रभाग के बड़े अधिकारी भी रडार पर हैं।प्रमुख वन संरक्षक अनूप मलिक ने कनासर रेंज में हुए अवैध कटान व भारी मात्रा में लकड़ी की बरामदगी के बाद वन क्षेत्राधिकारी महेंद्र सिंह गुसाईं को निलंबित कर दिया है। उन्हें वन विभाग के बागेश्वर कार्यालय से अटैच किया गया है। इसके अलावा वन दरोगा प्रमोद कुमार, आशीष चंद्र, वन रक्षक मदन सिंह, शिवम गौतम और वन आरक्षी भगत सिंह राणा को भी निलंबित किया गया है।सभी को यमुना सर्किल के चकराता वन प्रभाग से हटाते हुए दूसरी सर्किल में अटैच किया गया है। कार्रवाई की पुष्टि करते हुए चकराता वन प्रभाग की डीएफओ कल्याणी नेगी ने बताया कि अधिकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई का आदेश उन्हें मिल गए हैं। उन्होंने कहा कि अवैध पातन मामले की हर स्तर से जांच की जा रही है।चकराता मामले में डीएफओ के स्तर से जांच के बाद प्राथमिक रिपोर्ट सौंपी गई है। इसका परीक्षण किया जा रहा है। प्राथमिक जांच में जो अधिकारी-कर्मचारी दोषी पाए गए हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है। परीक्षण के बाद रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।