देश में बाघों की दहाड़ आप आसानी से सुन सकते हैं। बाघों की जनसंख्या में वृद्धि एक बड़े बदलाव के संकेत हैं। पिछले चार सालों में बाघों की जनसंख्या में वृद्धि की बात करें तो देश में करीब 24 फीसदी जनसंख्या बाघों की बढ़ी है। वर्ष 2018 में बाघों की देश में कुल आबादी 2967 थी, जो बढ़कर वर्ष 2022 में 3682 तक पहुंच गई। 9 अप्रैल को मैसूर में पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल पूरे होने पर देश में कुल बाघों की जनसंख्या 3167 बताई थी। हालांकि, बाघों की गणना का कार्य चल रहा था। फाइनल आंकड़ा 3682 बाघों तक पहुंचा है।भारत में अब राष्ट्रीय पशु की संख्या अब 3682 पर पहुंच गई है। वर्ष 2018 में यह संख्या 2967 थी। इस लिहाज से देखें तो पिछले चार सालों में बाघों की आबादी में 715 की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। यह बाघों की कुल जनसंख्या में पिछले चार सालों में 24 फीसदी की वृद्धि को दर्शाती है। देश में पिछले चार सालों में बाघों की आबादी में सबसे बड़ी वृद्धि मध्य प्रदेश में देखने को मिली है। यहां पर चार सालों में 259 बाघ बढ़ गए हैं। उत्तराखंड में भी बाघों की आबादी में पिछले चार सालों में बड़ी वृद्धि देखने को मिली है। बाघों की आबादी में 118 का इजाफा हुआ है। बाघों के संरक्षण के लिए बनाए गए देश के टॉप 5 टाइगर रिजर्व की बात करें तो उत्तराखंड का जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व सबसे आगे है। यहां अभी कुल बाघों की आबादी 260 है। देश के सबसे अधिक बाघों की आबादी वाले राज्य में मध्य प्रदेश के बाद कर्नाटक, उत्तराखंड और फिर महाराष्ट्र का नंबर आता है। हर चार सालों पर बाघों की गिनती होती है। 2006 के बाद से देश में बाघों की जनसंख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। 2006 में 1411 बाघों की जनसंख्या वाले देश में सेव टाइगर अभियान का असर अब साफ दिखने लगा है।