सरकारी जमीनों पर कब्जा कर मजार बनाने वालों पर नकेल कसने के लिए भी इस अध्यादेश में इंतजाम किए गए हैं. मुख्य सचिव ने राज्य के सभी विभागों खासतौर पर वन विभागों को अपनी जमीनों का सत्यापन करने के आदेश दिए हैं.उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि सारी सरकारी जमीनें अतिक्रमणमुक्त होनी चाहिए. यदि कहीं सरकारी जमीन पर कोई धार्मिक स्ट्रक्चर बना है तो उसे गिराकर उच्चाधिकारियों से रिपोर्ट तलब किया गया है. सीएम धामी ने नए कानून के लागू होने के बाद कहा कि अभी तक उत्तराखंड में जमीनों की खरीद फरोख्त पर कोई रोक टोक नहीं था, लेकिन अब लोगों को बताना होगा कि जमीन खरीदने का मकसद क्या है. खासतौर पर उन्हें यह उल्लेख जरूर करना होगा कि इस जमीन पर कोई धार्मिक गतिविधि तो नहीं होने वाली.बता दें कि इसी तरह का कानून कांग्रेस की सरकार (2002-2007) में भी लाया गया था. लेकिन इसमें उत्तराखंड में बाहर से आकर 500 वर्ग मीटर से अधिक जमीन खरीदने के लिए था. हालांकि बाद में बीजेपी की सरकार आरने के बाद इस रकबे को घटाकर इसे 250 वर्ग मीटर से बड़े भूखंड पर लागू कर दिया गया. लेकिन अब सभी तरह की जमीनों के खरीद फरोख्त में इस नियम को अमल में लाया जाएगा.