उत्तराखंड में अब सरकारी जमीन पर कब्जा कर मजार नहीं बनाए जा सकेंगे. इसके लिए उत्तराखंड सरकार ने विशेष प्रावधान किए हैं. इसी के साथ सरकार ने सभी विभाग प्रमुखों को उनसे संबंधित जमीनों पर बने मजारों की पहचान करने के निर्देश दिए गए हैं. इसी क्रम में सरकार ने यह प्रावधान किए हैं कि जमीन की रजिस्ट्री कराने से पहले खरीदने वालों बताना पड़ेगा कि उनका बैकग्राउंड क्या और वह जमीन क्यों खरीदना चाहते हैं.जवाब संतोषजनक मिलने के बाद ही रजिस्ट्री की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा. इस संबंध में उत्तराखंड सरकार ने बुधवार को ही एक अध्यादेश पास किया है. गौरतलब है कि उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने पिछले दिनों एक बयान में लैंड जेहाद शब्द का इस्तेमाल किया था. कुछ संगठनों का नाम लेते हुए उन्होंने कहा था कि उत्तराखंड में ये लोग अवैध गतिविधियों को अंजाम देने का प्रयास कर रहे हैं.इन्हें रोकने के लिए कठोर कानून लाया जाएगा. इस नए कानून को सीएम धामी के बयान के क्रम में देखा जा रहा है. राज्य के मुख्य सचिव एसएस संधु ने जारी निर्देशों में बताया कि इस कानून का लक्ष्य राज्य के अंदर अवैधानिक गतिविधियों और अवांछित लोगों को रोकना है. उन्होंने बताया कि नए कानून के तहत किसी भी तरह की जमीन खरीदने से पहले लोगों को बताना होगा कि उनका बैकग्राउंड क्या है और वह यह जमीन क्यों खरीद रहे हैं.
यदि यह जमीन धार्मिक गतिविधियों के लिए खरीदी जा रही है तो रजिस्ट्री अधिकारी अपने विवेक के आधार पर बैनामे से इंकार कर सकता है. इसी के साथ यदि किसी व्यक्ति का इंटेशन गलत पाया जाता है तो भी बैनामा रोका जा सकता है. इसी के साथ सरकारी जमीनों पर कब्जा कर मजार बनाने वालों पर नकेल कसने के लिए भी इस अध्यादेश में इंतजाम किए गए हैं. मुख्य सचिव ने राज्य के सभी विभागों खासतौर पर वन विभागों को अपनी जमीनों का सत्यापन करने के आदेश दिए हैं.