जोशमठ में ऐसी आपदा क्यों आई, इसको लेकर अलग-अलग एजेंसियों ने अपनी-अपनी रिपोर्ट तैयार की है. इन रिपोर्ट में इस आपदा के कई कारण बताए गए. जिनमें, एक ये भी था कि जोशमीठ में मकानों के निर्माण में मानकों की अनदेखी की गई. मकानों को बनाते समय भूकंप प्रतिरोधी तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया गया. रुड़की स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) ने हाल ही में अपनी रिसर्च रिपोर्ट में उत्तराखंड के नैनीताल और मसूरी में बने घरों को लेकर भी कुछ ऐसा ही कहा है.रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि नैनीताल और मसूरी में बड़ी संख्या में इमारतों को बनाने में भूकंप प्रतिरोधी तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया गया है. इमारतें ढलान पर बनी हुई हैं. जो बड़े भूकंप की स्थिति में संभावित बड़े नुकसान का मुख्य कारण हो सकता है. पिछले एक साल में राज्य में एक दर्जन से अधिक भूकंप आए हैं. आईआईटी के शोधार्थियों ने ये अनुमान लगाया है कि नैनीताल और मसूरी में अगर बड़ा भूकंप आता है, तो इससे 1,447 करोड़ रुपये और 1,054 करोड़ रुपये तक का नुकसान होगा. आईआईटी के शोधार्थियों ने इस रिपोर्ट को तैयार करने में चार साल का समय लिया है.हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक,आईआईटी रुड़की के एक भूकंपविज्ञानी योगेंद्र सिंह बताते हैं कि इस रिपोर्ट को तैयार करने में मसूरी की 5,101 इमारतों और नैनीताल की 7,793 इमारतों का सर्वे किया गया है. इस सर्वे में संवेदनशील हिल स्टेशनों पर बने मकानों का भी अवलोकन किया गया है. योगेंद्र सिंह के अनुसार, कमजोर ढलानों पर मकानों का निर्माण कार्य तत्काल बंद कर देना चाहिए. वहीं, राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि वे आईआईटी के शोध को एक बार खुद देखेंगे.
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December 6, 2024