मुजफ्फरनगर की एक अदालत ने 29 साल पुराने एक मामले में पेश नहीं होने पर यूपी के 23 पुलिसकर्मियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है. यूपी के आरोपी पुलिसकर्मियों ने कथित रूप से 1994 में रामपुर तिराहा क्रॉसिंग पर उन निहत्थे राज्य आंदोलनकारियों पर गोलियां चलाईं, जो उत्तराखंड के अलग राज्य के समर्थन में एक रैली के लिए दिल्ली जा रहे थे. उत्तराखंड तब यूपी का हिस्सा था. 1994 में हिंसा के लिए आरोपी पुलिस कर्मियों के खिलाफ छह मामले दर्ज किए गए थे. इस घटना में आधा दर्जन लोग मारे गए थे और कुछ महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था. नाबालिगों को भी नहीं बख्शा गया था. इसके अलावा झड़पों में मारपीट की गई थी.विशेष अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश शक्ति सिंह ने अब पुलिस को 3 मार्च को 23 आरोपी पुलिसकर्मियों को पेश करने के लिए कहा है. जिला सरकारी वकील राजीव शर्मा ने कहा, अदालत ने गुरुवार को 23 आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है, कोर्ट के सामने पेश न होने के बहाने वो अपराध कर रहे हैं. सहायक जिला सरकारी वकील, परविंद्र सिंह ने कहा, “जबकि अधिकांश आरोपी पुलिसकर्मी सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त हो चुके हैं, विशेष अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश शक्ति सिंह ने नाराजगी जाहिर करते हुए आरोपी 23 पुलिसकर्मियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया.विशेष अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश शक्ति सिंह ने सीबीआई बनाम राधा मोहन द्विवेदी और सीबीआई बनाम विक्रम सिंह तोमर के मुकदमें की सुनवाई की. एडीजीसी परविंद्र सिंह ने बताया कि अभियुक्त पुलिसकर्मी राधा मोहन द्विवेदी, कृपाल सिंह, महेश चंद्र शर्मा, नेत्रपाल सिंह, सुमेर सिंह, देवेंद्र सिंह, सतीश चंद्र शर्मा, तमकीम अहमद, मिलाप सिंह, सुरेंद्र सिंह, ब्रजेश कुमार, कुंवरपाल सिंह, प्रबल प्रकाश, राकेश कुमार मिश्रा, वीरेंद्र कुमार, संजीव कुमार भारद्वाज, राकेश कुमार सिंह, कुशलपाल सिंह, राजपाल सिंह, वीरेंद्र प्रताप, विजय पाल सिंह और नरेश कुमार त्यागी की ओर से वकील ने हाजिरी माफी प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया.