पिछले दिनों से जोशीमठ में एक हुई आपदाएं सामने आ रही हैं। दरारों, गड्ढों के बाद अब एक और नई आपदा आ गई है। लगभग 10 दिन पहले जोशीमठ के ठीक नीचे मारवाड़ी में ऐसा पानी का जलजला फूटा, जिसको देख हर किसी के जेहन में एक प्रश्न था कि आखिर यह पानी निकला तो निकला कहां से। अभी उस जलजले के निकलने की पुष्टि नहीं हो पाई थी कि अचानक 100 से 200 वर्ष पुराने प्राकृतिक जल स्रोतों ने सूखना शुरू कर दिया।इस प्रकृतिक धार के आसपास रहने वाले बतात हैं कि जोशीमठ में उनका सारा जीवन गुजर गया है। उनका ही नहीं उनके पूर्वजों ने भी जिंदगी यही काटी, पर आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ कि जब प्रकृति से निकलने वाला यह जल स्त्रोत सूखा हो। उन्होंने बताया कि यह प्राकृतिक पानी की जलधार लगभग 200 साल पुरानी थी। इसी पानी से पीने, बर्तन-कपड़े और घर के आदि सभी काम किए जाते थे। पर इस आपदा में यह जलस्रोत ऐसा सूखा कि आज इसमें एक बूंद पानी नहीं है।अपने पौराणिक प्राकृतिक स्रोत रुकते हुए देख दुखी हो रहे लोगों ने इन स्रोतों के सूखने का पूरा ठीकरा जल विद्युत परियोजना एनटीपीसी के मत्थे मढ़ दिया। लोगों ने कहा कि सरकार एक तरफ बड़ी-बड़ी जल विद्युत परियोजनाएं लगाकर पहाड़ों का नाश मार रही है और दूसरी तरफ बाईपास सड़कों के नाम पर शहर को खोखला कर रही है। लोगों ने कहा कि एनटीपीसी की टनल की वजह से ही इस प्राकृतिक पानी का जमीन में रिसाव हो गया है। जिस वजह से उनके प्राकृतिक जलस्रोत सूख गए हैं और पानी जमीन में रिसने से दरारों में भी वृद्धि हो रही है।
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December 6, 2024