चारधाम यात्रा 22 अप्रैल से शुरू हो रही है। वहीं, बदरीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल को पूरे विधि-विधान के साथ खोले जाएंगे। आज राजमहल नरेंद्र नगर में आयोजित धार्मिक समारोह के दौरान कपाट खुलने की घोषणा की गई, जबकि गाड़ू घड़ा (तेल कलश) यात्रा के लिए 12 अप्रैल का दिन तय किया गया है।
बदरीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल को प्रात: 7:10 बजे पर मंत्रोच्चारण और परंपराओं के साथ खोले जाएंगे। राजदरबार नरेंद्र नगर में बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर धार्मिक समारोह में पंचांग गणना के बाद विधि-विधान ने कपाट खुलने की तिथि तय हुई। इस अवसर पर टिहरी राजपरिवार सहित श्री बदरी-केदार मंदिर समिति, डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के पदाधिकारी और बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।श्री बदरीनाथ धाम गाड़ू घड़ा (तेल कलश) यात्रा के लिए नरेंद्रनगर स्थित राजमहल में सुहागिनों द्वारा भगवान बदरीविशाल के लिए तेल पिरोया जाता है। महारानी और सुहागिनों के द्वारा राजमहल में ही तिल का तेल पिरोया जाता है। यह तेल निकाल कर एक कलश में रखा जाता है और उसके बाद तय तिथि पर कलश यात्रा निकाली जाती है। श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के दिन भगवान बदरीनाथ का इस तेल से अभिषेक किया जाता हैपरंपरा अनुसार टिहरी राजपरिवार ही अभिषेक के लिए प्रयुक्त होने वाले तिलों के तेल की व्यवस्था करता है। इस परंपरा के अनुसार सुहागिन महिलाएं और राजपरिवार की महिलाएं सिलबट्टे और ओखली में तिलों को पीस कर तेल निकालती हैं। उसके बाद तेल को पीले कपड़े से छानकर राजमहल में रखे एक विशेष बर्तन में रखकर आग पर गरम किया जाता है, जिससे उसमें से बचे हुए पानी का अंश निकल जाए।
इस प्रक्रिया के दौरान विधिवत रूप से मंत्रोच्चारण चलता रहता है। देर शाम तक तेल को ठंडा करने के बाद चांदी के विशेष कलश में रखा जाता है। इस कलश को डिमरी पंचायत और बदरीनाथ धाम के रावल के अलावा कोई छू भी नहीं सकता। छह महीने तक बदरीनाथ धाम में हर रोज ब्रह्म मुहूर्त में इसी तेल से बदरीनारायण का अभिषेक किया जाता है।