उत्तराखंड में नैनीताल उच्च न्यायालय ने राज्य में मशीनों से नदियों में खनन पर सोमवार को रोक लगा दी। इस संबंध में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी तथा न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने ये आदेश पारित किए। सभी जिलाधिकारियों को ये आदेश जारी कर अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा गया है। दरअसल हल्द्वानी निवासी गगन पाराशर और अन्य लोगों द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि राज्य की नदियों में खनन के लिए भारी मशीनों का उपयोग किया जा रहा है। याचिका में यह भी कहा गया है कि सरकारी और निजी खनन में ‘रॉयल्टी’ की दरों में भी अंतर हइस संबंध में, खंडपीठ ने प्रदेश के खनन सचिव से पूछा कि वन विकास निगम की वेबसाइट पर खनन की ‘रॉयल्टी’ की दर 31 रुपये प्रति क्विंटल बताई गयी है, जबकि निजी खननकर्ताओं की वेबसाइट पर यह 12 रुपये प्रति क्विंटल है? हाईकोर्ट ने खनन सचिव को इस संबंध में 12 जनवरी तक अदालत में हलफनामा दाखिल करने के निर्देश दिए गए हैं। न्यायालय ने जिलाधिकारियों को नदियों में खनन के लिए उपयोग की जा रही मशीनों को जब्त करने का आदेश भी दिया है।