
उत्तर प्रदेश के कानपुर में पिछले 6 सालों से पॉश इलाके में रह गए रिजवान का कभी कोई पुलिस वेरिफिकेशन ना ही हुआ, ना ही कभी इस इस अपार्टमेंट में रहने वालों पर पुलिस की नजर गई. हो भी क्यों ना., इस वीवीआईपी अपार्टमेंट में शहर के कमिश्नर रैंक के अधिकारियों के फ्लैट हैं. साथ ही अगल-बगल कानपुर कमिश्नर समेत सीनियर आईएएस अधिकारियों के बंगले भी हैं. ऐसे में कानपुर कमिश्नरेट पुलिस के साथ-साथ कानपुर की खुफिया इकाइयों के साथ-साथ लोकल थाने की पुलिस पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
दरअसल, इन अधिकारियों के बीच फ्लैट खरीद कर अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हैं और अपनी संदिग्ध गतिविधियों को अंजाम देते हैं. पूरे मामले में अपार्टमेंट वह उसके अगल-बगल की लोकेशन में शहर के कमिश्नर लेवल के अधिकारी समेत सीडीओ शहर के सिटी मजिस्ट्रेट रहते हैं, जिसके चलते ऐसा लगता है कि यहां पर रहने वालों का पुलिस वेरिफिकेशन पुलिस करने की हिम्मत ही नहीं कर पाई, जिसके कारण रिजवान बेधड़क पिछले 6 सालों से यहां पर अपनी कारगुजारियों को अंजाम दे रहा था.
इम्पीरियल रेजिडेंसी के फ्लैट नंबर 801 में रह रहा था रिजवान
वहीं, इम्पीरियल रेजिडेंसी के फ्लैट नंबर 801 में परिवार के साथ रह रहा रिजवान इस बात से बिल्कुल निश्चिंत था कि इस फ्लैट में रहने के दौरान उससे कोई पुलिस पूछताछ हो सकती है. क्योंकि इस अपार्टमेंट में शहर के नामी-गिरामी पूंजीपति के साथ-साथ कमिश्नर रैंक के अधिकारियों के भी फ्लैट हैं.
इस मामले को गंभीर मानते हुए कानपुर पुलिस ने भी जांच करने में जुटी है कि रिजवान का ना कोई काम था, ना कोई कारोबार था. तो आखिरकार वह कैसे परिवार चला रहा था. रिजवान की पत्नी कानपुर के मेस्टन रोड स्थित मैदा बाजार में की रहने वाली है. साल 2016 में जब रिजवान यहां रहने आया तो ससुर को भी उसने अपने साथ रखा.
रिजवान को दूसरे देशों से हो रही थी फंडिंग- ज्वाइंट CP
पुलिस की जांच-पड़ताल में पता चला है कि वह इंपीरियल अपार्टमेंट के फ्लैट का सालाना किराया करीब 5 लाख रुपए देता था. जहां उसका एक बेटा खलासी लाइन चेक नामी स्कूल में 11वीं की पढ़ाई कर रहा था. जबकि दूसरा बेटा महंगी हायर एजुकेशन ले रहा था. ऐसे में जब पूरा परिवार कोई काम नहीं करता था.