उत्तराखंड के चमोली जिले के औली में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) से महज 90 किलोमीटर की दूरी पर भारत और अमेरिका के बीच संयुक्त सैन्याभ्यास चल रहा है। 16 नवंबर से दो दिसंबर तक चलने वाले इस अभ्यास में युद्ध की तमाम तकनीकी और बारीकियों के साथ-साथ आपदा राहत कार्यों का प्रशिक्षण भी सेनाओं को दिया जा रहा है। ये प्रशिक्षण कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र के चैप्टर-7 के अंतर्गत एकीकृत युद्धक समूह के इस्तेमाल पर केंद्रित है। इसके अंतर्गत शांति रक्षण और शांति लागू करने से संबंधित सभी प्रकार की कार्रवाइयां शामिल होंगी। भारत और अमेरिका की ज्वाइंट एक्सरसाइज को ‘युद्धाभ्यास’ नाम दिया जाता है। भारत और अमेरिका की संयुक्त सैन्य अभ्यास के इंचार्ज के तौर पर ब्रिगेडियर पंकज वर्मा इस संयुक्त सैन्य अभ्यास को देख रहे हैं।
भारत और अमेरिका के बीच ‘युद्धाभ्यास’ ऐसे समय में हो रहा है जब पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर भारत और चीन के बीच पिछले 30 महीने से तनातनी जारी है। यह सैन्य अभ्यास सालाना तौर पर भारत और अमेरिका के बीच आयोजित होता है। इससे पहले अक्टूबर 2021 में अमेरिका के अलास्का में ज्वाइंट बेस एलमेनडॉर्फ रिचर्डसन में हुआ था। इस साल युद्धाभ्यास में भारतीय सेना की असम रेजीमेंट की बटालियन और अमेरिकी सेना की 11 एयरबॉर्न डिवीजन की सेकेंड (2) ब्रिगेड शामिल हैं। इन अमेरिकी पैरा ट्रूपर्स को ‘स्पार्टन्स’ (स्पार्टा) के नाम से जाना जाता है। भारतीय सेना की असम रेजीमेंट का आदर्श-वाक्य ‘तगड़ा रहो’ है।संयुक्त सैन्य अभ्यास के अंतर्गत जवानों को CPX (कमांड पोस्ट एक्सरसाइज ) और FTX (फिट ट्रेनिंग एक्सरसाइज) की ट्रेनिंग दी गई। भारत और अमेरिका को संयुक्त सैन्य अभ्यास में रॉक क्राफ्ट की ट्रेनिंग दी जा रही है। रॉक क्लाइंबिंग के जरिए कैसे लड़ाई के वक्त या जरूरत के वक्त खड़ी चट्टानों पर चढ़कर अपने ऑपरेशन को पूरा किया जा सकता है यह अमेरिकी जवानों को सिखाया गया।