पुष्कर सिंह धामी (pushkar singh dhami) सरकार ने शीतकालीन सत्र में महिलाओं को सरकारी नौकरियों को में 30 पर्सेंट आरक्षण देने वाले विधेयक (women reservation bill) को विधानसभा में पास करा लिया है। सरकारी नौकरियों में महिलाओं को आरक्षण देने के प्रदेश सरकार के शासनदेशों को नैनीताल हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था। प्रदेश सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। इसके बाद सरकार ने महिलाओं के क्षैतिज आरक्षण को कानूनी रूप देने के लिए यह विधेयक पेश किया था। आइए जानते हैं कि क्या है यह क्षैतिज आरक्षण।क्षैतिज आरक्षण, आरक्षित सीटों पर आरक्षित वर्ग की महिलाओं, दिव्यांग अभ्यर्थियों, ट्रांसजेंडरों को अलग से आरक्षण दिया जाना है, ताकि समाज की मुख्य धारा से जोड़कर इन लोगों का सामाजिक सशक्तिकरण किया जा सके। इसे इस तरह से भी समझा जा सकता है कि यदि 100 में से 18 सीटें एससी के लिए, 4 सीटें एसटी के लिए और 14 सीटें ओबीसी की हैं तो इन सीटों पर इस वर्ग की महिलाओं, दिव्यांगों, ट्रांसजेंडरों के लिए अलग से आरक्षण की व्यवस्था होगी। इसके लिए उन्हें आरक्षण के भीतर भी आरक्षण मिलेगा। इसी तरह से पूर्व सैनिकों, खिलाड़ियों, अल्पसंख्यकों आदि को भी क्षैतिज आरक्षण की श्रेणी में रखा जाता है।इसके तहत महिलाओं, दिव्यांगों, पूर्व सैनिकों आदि को छूट का प्रावधान दिया गया है। यह आरक्षण अलग से नहीं है लेकिन अनुच्छेद 15 (3) में क्षैतिज आरक्षण दिया गया है। उदाहरण के लिये यदि महिलाओं के पास 50% क्षैतिज कोटा है तो चयनित उम्मीदवारों में से आधे को वर्टिकल कोटा श्रेणी जैसे- अनुसूचित जाति, अनारक्षित वर्ग इत्यादि की महिला, दिव्यांग होना चाहिये। इन वर्गों को क्षैतिज आरक्षण देने का मकसद है समाज के पिछड़े वर्ग को मुख्य धारा से जोड़ना। इस तरह से वे स्वयं को समाज से कटा हुआ महसूस नहीं करते।
हालांकि क्षैतिज आरक्षण देने के बाद भी एससी, एसटी और ओबीसी में आरक्षण प्रतिशत वही रहेगा। इन श्रेणियों के लिए निर्धारित सीमा से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। इस तरह से शैक्षिक और सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों को समाज की मुख्य धारा में आने का अवसर मिल जाता है। एक विशेष वर्ग के होने के बावजूद खुद को समाज में स्थापित करने का मौका भी उनको मिलता है
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December 22, 2024