उत्तराखंड में डेंगू के बाद अब इस जानलेवा बीमारी ने दस्तक दे दी है। डॉक्टरों की राय मानें तो जरूरी बचाव कर इस बीमारी से बचा जा सकता है। लक्षणों का पता चलते ही चिकित्सकीय सलाह लेना बहुत जरूरी है। हरिद्वार में डेंगू के साथ अब स्क्रब टाइफस के मामले भी सामने आने लगे हैं
जिला अस्पताल में स्क्रब टाइफस के छह मरीज भर्ती किए गए। इनमें से तीन मरीजों को जिला अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है। इस सीजन में यह पहला मामला है जब स्क्रब टाइफस के मामले सामने आए हैं। हरिद्वार जिले में डेंगू के मरीज लगातार सामने आ रहे हैं। जिला अस्पताल प्रबंधन ने डेंगू के मरीजों के लिए छह बेड का अतिरिक्त आइसोलेशन वार्ड बनाया है।
अभी डेंगू के मरीजों की संख्या कम नहीं हुई थी कि स्क्रब टाइफस से जुड़े मामले भी आने लगे हैं। जिला अस्पताल में स्क्रब टाइफस से पीड़ित छह मरीज भर्ती हो चुके हैं। जिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. चंदन मिश्रा ने बताया कि अस्पताल में स्क्रब टाइफस के छह मरीज भर्ती हुए थे। तीन मरीजों की तबीयत में सुधार होने के बाद उनको छुटटी दे दी गयी। तीन मरीज अभी भी जिला अस्पताल में भर्ती हैं।स्क्रब टाइफस के लक्षणों में मरीज को तेज बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में अकड़न और शरीर में टूटन बनी रहती है। डॉ. चंदन मिश्रा ने बताया कि बीमारी के लक्षण नजर आने पर तत्काल अस्पताल में जाकर जांच कराएं। स्क्रब टाइफस आमतौर पर उन लोगों को होता है जो झाड़ियों वाले क्षेत्रों के आसपास रहते हैं। इस रोग का कारण बनने वाला बैक्टीरिया एक प्रकार के छोटे कीड़े के काटने से मनुष्य के शरीर पहुंचता है। स्क्रब टाइफस की रोकथाम के लिए कुछ सामान्य उपाए किए जाते हैं। जैसे घर से बाहर जाते समय जूते और पूरे बाजू वाली शर्ट पहनना। यह बीमारी ज्यादातर बच्चों को प्रभावित करती है इसलिए जितना संभव हो सके बच्चों को मिट्टी या फिर घास या पेड़ पौधे के पास न जाने दें।