केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि नरेन्द्र मोदी सही अर्थो में ‘राष्ट्रीय नेता’ हैं जिन्होंने प्रधानमंत्री शब्द को वास्तविक पहचान दी है। उन्होंने यह भी कहा कि इससे पहले यह तमगा उन नेताओं को भी मिल जाता था जो कभी अपनी योग्यता साबित नहीं कर सके और जो केवल एक या दो सुरक्षित लोकसभा क्षेत्रों से ही चुनाव जीतने में सक्षम थे। अमित शाह ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के तत्काल बाद राष्ट्रीय नेताओं की पहचान स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भागीदारी के कारण क्षेत्रों में उनके नाम से थी। बाद के दशकों में विशेष रूप से गठबंधन युग के समय इस अभिव्यक्ति (राष्ट्रीय नेता) का बहुत दुरुपयोग किया गया। दिल्ली के मीडिया ने उदारता से अपने ‘दोस्तों और पसंदीदा लोगों’ को राष्ट्रीय नेता का दर्जा वितरित किया। रूपा पब्लिकेशन की 11 मई को आने वाली पुस्तक ‘मोदी : 20 ड्रीम्स मीट डिलीवरी’ में शाह ने मोदी के बारे में यह बात कही है।
मोदी के नेतृत्व में 2019 के आम चुनाव में बड़े अंतर से जीत दोहराने से पहले भाजपा ने साल 2014 में अपनी सबसे बड़ी लोकसभा जीत हासिल की थी।तीन दशक से अधिक समय से प्रधानमंत्री मोदी के विश्वासपात्र शाह ने लिखा है कि एक नेता के लिए सबसे अच्छा शिक्षक है- साधारण स्थानों की यात्रा करना, सामान्य परिवारों से मिलना, सामान्य अनुभव साझा करना और यह सब सामान्य तरीकों से करना। उन्होंने कहा, ‘नरेन्द्र मोदी ने पिछले 75 वर्षो में किसी भी राजनेता की तुलना में अधिक आवृत्ति और दृढ़ता के साथ ऐसा किया है।’
अमित शाह ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत घरों में रसोई गैस सिलेंडर बांटने और शौचालय बनाने के लिए प्रधानमंत्री के तौर पर मोदी के कदम इसी समझ से उपजे हैं। वर्ष 1984 से 2014 तक किसी भी पार्टी के लोकसभा में बहुमत हासिल नहीं करने के मद्देनजर शाह ने कहा कि वर्ष 1952 और 1984 के बीच दलों और प्रधानमंत्रियों ने स्वतंत्रता आंदोलन की ख्याति, पारिवारिक विरासत, सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ गुस्से (1977), तुष्टिकरण के साथ भय और सहानुभूति के मिश्रण (1984), वर्गीय पूर्वाग्रह, वोट बैंक लामबंदी और वर्ष 1971 के गरीबी हटाओ जैसे खोखले नारे के आधार पर बहुमत हासिल किया।
शाह ने लिखा कि अब हर कोई मानता है कि वर्ष 2014 का चुनाव भारतीय राजनीति के इतिहास में सबसे निर्णायक बदलाव था। उन्होंने कहा कि मोदी की अपील को राज्य के चुनावों में भाजपा की जीत के एक प्रमुख कारक के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव शामिल हैं।
शाह ने कहा, ‘वह (मोदी) सिर्फ एक साथी भर नहीं हैं, या कुछ कार्यक्रमों और रैलियों के लिए एक शुभंकर नहीं हैं। वह स्थानीय राजनीति की गहरी समझ के साथ राज्य की भाजपा इकाइयों और नेताओं की चिंताओं के पूरक हैं। वह अन्य दलों के उन कथित राष्ट्रीय नेताओं से बहुत अलग हैं, जो केवल आने-जाने वाले आगंतुक हैं और जिन्हें जमीनी हकीकत का कोई अंदाजा नहीं है।’
पीएम मोदी के अनुभव से भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनी
अमित शाह ने कहा कि देश का शीर्ष पद संभालने के बाद पार्टी में उनकी पूर्ण भागीदारी और इसके विकास के प्रति प्रतिबद्धता थोड़ी कम नहीं हुई है। उन्होंने सरकार में सामरिक लाभ के लिए पार्टी के हितों का त्याग नहीं किया है, लेकिन वास्तव में उन्हें सहजीवी के रूप में देखते हैं।
शाह ने प्रधानमंत्री के सुझावों को याद करते हुए कहा कि यह मोदी ही थे जिन्होंने उन्हें तकनीक का उपयोग करने और मिस्ड कॉल के आधार पर भाजपा सदस्यता अभियान शुरू करने की सलाह दी। जब वह तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष के रूप में 2015 में प्रैक्टिस के संबंध में उनके पास गए थे। शाह ने कहा कि मोदी की तत्काल प्रतिक्रिया थी कि अगर पार्टी इसे पुराने ढंग से करती है तो इसका कोई उद्देश्य नहीं होगा क्योंकि यह उन क्षेत्रों से अधिक से अधिक सदस्यों को आसानी से और आलसी नामांकित करेगा, जहां यह पहले से ही मजबूत थी।
उन्होंने कहा कि मिस्ड काल का विचार मूक भाजपा समर्थकों तक पहुंचने की रणनीति का हिस्सा था, जो पार्टी की ओर आकर्षित थे, लेकिन यह नहीं जानते थे कि अपने सदस्यों के साथ शारीरिक रूप से कैसे बातचीत करें और जुड़े। उन्होंने लिखा कि सदस्यता संख्या के मामले में अभियान ने भाजपा को किसी भी लोकतंत्र में सबसे बड़ी पार्टी बना दिया। इसने हमारे विस्तार को उन क्षेत्रों में और उन समुदायों के बीच बढ़ा दिया, जिन तक पहुंचना अब तक कठिन था।
यह किताब ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन द्वारा संपादित और संकलित है। यह प्रख्यात बुद्धिजीवियों और विशेषज्ञों द्वारा लिखित अध्यायों का संकलन है। इसमें विदेश मंत्री एस. जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चुनाव विशेषज्ञ प्रदीप गुप्ता, प्रसिद्ध बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु, बैंकर उदय कोटक, अर्थशास्त्री और नीति आयोग के पूर्व प्रमुख अरविंद पनगड़िया, प्रमुख हृदय रोग विशेषज्ञ देवी शेट्टी और इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणी का भी योगदान है।