देश के ज्यादातर हिस्सों में संक्रमण दर तीन फीसदी से भी कम है, लेकिन वायरस के अलग-अलग स्वरूप की बात करें तो देश में आधे से ज्यादा मरीजों में गंभीर स्वरूप मिल चुके हैं।
प्रधानमंत्री कार्यालय और स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजी रिपोर्ट में इन्साकॉग ने जानकारी दी है कि अब तक 72931 सैंपल की सीक्वेंसिंग हुई है, जिसमें 30 हजार से भी अधिक में कोरोना के अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा और डेल्टा प्लस जैसे गंभीर स्वरूप मिले हैं। ये स्वरूप तेजी से फैलते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए 8471 सैंपल राज्यों से किए गए एमओयू के आधार पर प्राप्त हुए थे। कुल 72931 में से केवल 5178 सैंपल उन लोगों के थे, जो विदेश से लौटे थे। जबकि समुदाय स्तर पर 44689 सैंपल की सीक्वेंसिंग हुई है। 30230 सैंपल यानी 60.6 फीसदी में गंभीर स्वरूप की पुष्टि हुई है।
अब तक 4218 में अल्फा, 218 में बीटा, दो में गामा, 20324 में डेल्टा, 5407 में कप्पा व डेल्टा-1 और 90 सैंपल में डेल्टा प्लस से संबंधित स्वरूप मिले हैं, जिन्हें विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गंभीर श्रेणी में माना है।
60 फीसदी सैंपल में गंभीर स्वरूप मिलना सामान्य नहीं
इन्साकॉग के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक और महामारी विशेषज्ञ ने कहा, भारत में 60 फीसदी सैंपल में गंभीर स्वरूप मिलना सामान्य बात नहीं है। इससे पता चला रहा है कि हर दूसरा मरीज वायरस के उन गंभीर स्वरूप की चपेट में है जो कभी भी दूसरी लहर के समान विस्फोटक स्थिति पैदा कर सकते हैं।
दुनियाभर में इन स्वरूप का प्रकोप देखने को मिल रहा है। हालांकि, इनसे बचने के सरकार के पास दो ही विकल्प हैं। पहला कोविड सतर्कता नियमों का पालन और दूसरा टीकाकरण को बढ़ावा।
अकेले डेल्टा स्वरूप में 13 बार वायरस ने म्यूटेशन किया है। इनमें से भारत में एवाई.1, एवाई.2 और एवाई.3 मिल रहा है। जुलाई में महाराष्ट्र में ये स्वरूप सबसे अधिक मिले। इनकी फैलाव की दर भी एक फीसदी के आसपास होने का अनुमान है।
फिलहाल देश में डेल्टा स्वरूप के अलावा अन्य स्वरूप इतनी तेजी से नहीं फैल रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को जमीनी स्तर पर कड़े कदम उठाते हुए भीड़ पर नियंत्रण रखना पड़ेगा।