गुरुवार को भोर में पूर्व दिशा की ओर आसमान पर जैसे ही लालिमा छाई व्रतियों का उत्साह चरम पर पहुंच गया। भगवान भाष्कर के स्वागत में सुहागिनों ने मंगलगीत गाना शुरू कर दिया तो वहीं युवाओं ने खूब आतिशबाजी की। बैंडबाजों के धुन और आतिशबाजी की चौकाचौंध के बीच सूर्य ने जैसे सुबह करीब 6:40 बजे दर्शन दिए व्रतियों ने उन्हें अर्घ्यदान कर पूजा की और अपना व्रत संपन्न किया।
लोक आस्था के महापर्व छठ पर उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देने के त्रिवेणी घाट शीशम झाड़ी और अन्य नदियों के तट पर महिलाओं का हुजूम उमड़ पड़ा। सजधज कर सुहागिनें घर से तड़के करीब चार बजे छठ मैया के मंगल गीत गाते हुए समूहों में निकलीं। आगे-आगे पुरुष दउरी में फल-फूल, पकवान समेत पूजन सामग्री लेकर चल रहे थे। घाट पर महिलाओं ने दीप जलाकर वेदिका सजाई। इस दौरान छठ मइया के जयकारे से घाट गूंजते रहे। सूर्योदय से पूर्व ही व्रती महिलाएं घुटनों तक पानी में शृंखला बनाकर खड़ी हो गईं। कुछ देर में जैसे ही सूर्य भगवान प्रकट हुए, महिलाओं ने उनको अर्घ्यदान कर मायके, ससुराल समेत पूरे जगत के कल्याण की मंगलकामना की।
घाटों पर गुजारी रात
आसपास क्षेत्र और जनपदों से आए कई परिवार ऐसे भी थे जो बुधवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्यदान देने के बाद घाटों पर ही भगवान सूर्य के उदय का इंतजार करने लगे। महिलाएं भोर में सूर्य को अर्घ्य देने के लिए परिवार संग पूरी रात जगती रहीं। रात भर घरों में छठ मैया के मंगल गीत गाए गए। महिलाओं ने छठ पूजा की कहानियां सुनाई। त्रिवेणी घाट पर लगाए गए पंडाल के नीचे सैकड़ों व्रती महिलाओं ने स्वजन संग रात गुजारी। त्रिवेणी घाट पर रातभर भजन कीर्तन और बिरहा मुकाबला चलता रहा। उगते सूरज को अर्घ्यदान के साथ ही चार दिवसीय छठ पूजा का महिलाओं ने पारण किया।