Chhath Mahaparv 2021 नहाय-खाय के साथ आज से छठ महापर्व शुरू हो गया है। दून में विभिन्न स्थानों पर नहाय-खाय और छठ मइया का पूजन होगा। पूर्वा सांस्कृतिक मंच और बिहारी महासभा की ओर से विभिन्न आयोजन किए जाएंगे। चार दिन तक चलने वाले इस पर्व को लेकर पूर्वांचल मूल के लोग खासे उत्साहित हैं। दून में भी सोमवार से नहाय-खाय के साथ छठ पर्व की औपचारिक शुरुआत हो गई है। छठ व्रत करने वाली महिलाएं और पुरुष स्नान और सात्विक भोजन के बाद व्रत शुरू करेंगे। व्रती लौकी, अरहर की दाल और कच्चा (अरवा) चावल के भात का भोजन करेंगे। व्रती छठ पर्व के समापन के बाद ही नमक युक्त भोजन करेंगे। छठ पर्व के तहत मंगलवार को घाटों पर मुख्य छठ पूजा होगी।
संतान प्राप्ति और बच्चे की खुशहाली की कामना के लिए कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा की जाती है। बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में इस पूजा का विशेष महत्व है। देहरादून में भी बिहार के लोग इस पर्व को खासा उल्लास के साथ मनाते हैं। इस पर्व को लेकर टपकेश्वर, पथरी बाग, मालदेवता, चंद्रमनी, प्रेमनगर, पंडितवाड़ी, मद्रासी कालोनी, दीपनगर स्थित घाट पर सफाई के बाद पूजा की जाती है।
बिहारी महासभा करेगा घाटों की सफाई
नहाय-खाय की सुबह बिहारी महासभा से जुड़े लोग टपकेश्वर, चंद्रमनी, प्रेमनगर और मालदेवता स्थित घाटों की सफाई करेंगे। महासभा के महासचिव चंदन झा ने बताया कि बीते वर्ष कोरोना के चलते आयोजन नहीं हुए, लेकिन इस बार घाटों पर पूजा की जाएंगी। उन्होंने बताया कि हाल ही में पटेलनगर में बने छठ पार्क में पूजा की जाएगी।
इस तरह होगा चार दिवसीय महापर्व
आठ नवंबर को नहाय-खाय के बाद व्रत रख घाट की सफाई और पूजा होगी। नौ को खरना वाले दिन निर्जला व्रत रख शाम को खीर का प्रसाद के साथ व्रत खोला जाएगा। 10 नवंबर को विभिन्न घाटों पर अस्ताचलगामी यानी ढलते सूर्य को जल अर्पित कर अघ्र्य दिया जाएगा। जबकि 11 नवंबर को उदीयमान यानि उगते सूर्य को अघ्र्य देने के साथ ही छठ महापर्व संपन्न होगा।
पूर्वा सांस्कृतिक मंच ने 18 घाट किए तैयार
पूर्व विधायक राजकुमार ने घाटों का किया निरीक्षण
छठ पूजा को लेकर कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व विधायक राजकुमार ने नई बस्ती, तेगबहादुर रोड, डालनवाला स्थित छठ पूजा स्थल पर कृत्रिम झील का निरीक्षण किया। उन्होंने हर्ष जताते हुए कहा कि बेहद कम समय में छठ पूजा की तैयारियां संपन्न की गई। छठ पूजा में हजारों लोग कृत्रिम घाटों पर आकर पूजा करते हैं। उनकी ओर से घाटों पर सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।