
केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह की दीवारों पर सोने की प्लेट को लेकर विवाद गरमाता जा रहा है। मामले में उत्तराखंड सरकार के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं। टीओआई को दिए बयान में सतपाल महाराज ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में मुख्य सचिव एसएस संधू, रुद्रप्रयाग के डीएम मयूर दीक्षित और धार्मिक मामलों के सचिव हरीश चंद सेमवाल से बात की है और निर्देश दिया है कि मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। उन्होंने कहा कि हम सच जानना चाहते हैं और जो भी जांच में आएगा उसके आधार पर आगे कार्रवाई की जाएगी।उन्होंने कहा कि शुरुआती तौर पर आरोप सही नहीं लगते क्योंकि जिसने सोना और तांबा दान किया है, उसी ने पूरा काम भी कराया है। इसलिए किसी प्रकार के गबन या भ्रष्टाचार की उम्मीद नहीं है। लेकिन चूंकि अफवाहें फैल रही हैं और कुछ लोग चार धाम यात्रा को बदनाम करना चाहते हैं इसलिए सच सामने आने की जरूरत है ताकि दोषियों को सजा दी जा सके।
केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी ने कहा जब पुरोहित पूजा पाठ करने के लिये मंदिर के भीतर गये, तो वहां सोने की पॉलिस की जा रही थी। जब सोने की प्लेटें लगी हैं, तो सोने की पॉलिस करने की कोई जरूरत नहीं थी। उन्होंने कहा केदारनाथ मंदिर के भीतर गर्भगृह की दीवारों पर केमिकल का प्रयोग किया जा रहा है। यह कार्य चोरी से किया जा रहा है। पुरातत्व विभाग और तीर्थ पुरोहितों को बताये बगैर ही यहां कार्य हो रहे हैं। इसकी अब जांच जरूरी हो गई है।
वहीं बदरीनाथ-केदारनाथ मन्दिर समिति (बीकेटीसी) ने केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को स्वर्णजड़ित करने पर सोशल मीडिया पर फैलाये जा रहे भ्रम को षड़यंत्र का हिस्सा बताया है। बीकेटीसी ने कहा कि दान दाता ने केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को स्वर्णजड़ित करने की इच्छा प्रकट की थी। उसकी भावनाओं का सम्मान करते हुए मंदिर समिति की बोर्ड बैठक में गर्भ गृह को स्वर्णमंडित करने की अनुमति दी गयी थी। इसके लिए शासन से अनुमति ली गई थी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के विशेषज्ञों की देख-देख में स्वर्ण मंडित करने का कार्य किया गया है।