उत्तराखंड में ‘नकल विरोधी कानून’ बनने के बाद पहला मुकदमा दर्ज हुआ है. पटवारी परीक्षा लीक होने की अफवाह फैलाने को लेकर यह कार्रवाई की गई है. आरोप है कि उत्तरकाशी में सोशल मीडिया पर पटवारी परीक्षा लीक होने की अफवाह फैलाई गई थी. इसी को लेकर अरुण कुमार नाम के युवक व अन्य अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.भर्ती परीक्षा घोटाले के खिलाफ बेरोजगार संघ के प्रदर्शन के बीच बीते गुरुवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) अध्यादेश- 2023 को अनुमोदन दे दिया था. इस अध्यादेश में दोषियों के लिए जुर्माने से लेकर सजा तक के सख्त प्रावधान है.
प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता एवं शुचिता को सुनिश्चित करने वाले अध्यादेश में कड़े प्रावधान किए गए हैं और अपराध को संज्ञेय एवं गैर जमानती बनाया गया है. इसके तहत, यदि कोई व्यक्ति, प्रिटिंग प्रेस, सेवा प्रदाता संस्था, प्रबंध तंत्र, कोचिंग संस्थान आदि अनुचित साधनों में लिप्त पाया जाता है तो उसके लिए आजीवन कारावास तक की सजा और 10 करोड़ रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
वहीं यदि कोई व्यक्ति संगठित रूप से परीक्षा कराने वाली संस्था के साथ षड्यंत्र करता है तो उसके लिए भी आजीवन कारावास तक की सजा एवं 10 करोड़ रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. यदि कोई परीक्षार्थी प्रतियोगी परीक्षा में स्वयं नकल करते हुए या अन्य परीक्षार्थी को नकल कराते हुए अनुचित साधनों में लिप्त पाया जाता है तो उसके लिए तीन वर्ष के कारावास व न्यूनतम पांच लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया है.