उत्तराखंड के जोशीमठ में हालात लगातार चिंताजनक बने हुए हैं. भू धंसाव की वजह से सैकड़ों परिवारों को सुरक्षित जगह पहुंचा दिया गया है. आपदा पीड़ित ऐसी आशंका जता रहे हैं कि कहीं पूरा जोशीमठ ही खाली न करना पड़े. पीड़ितों की इन्हीं आशंकाओं के बीच जोशीमठ का दौरा करने आई टीम की एक रिपोर्ट सामने आई है, जो उन्हें राहत दे सकती है. टीम में शामिल अधिकारियों का मानना है कि जोशीमठ का पूर्ण रूप से विस्थापन ठीक नहीं है, बल्कि सुरक्षित और कम खतरे वाले स्थानों का ट्रीटमेंट किया जाना चाहिए.बताया जा रहा है कि टीम अभी किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले एक बार फिर जोशीमठ का दोबारा सर्वे करेगी. जोशीमठ का जिस टीम ने दौरा किया है, उनमें प्रोफेसर मोहन सिंह पंवार, डॉ सैंथियल, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर तेजवीर राणा और प्रो सीवी रमन शामिल हैं. प्रोफेसर मोहन सिंह पंवार के मुताबिक, जोशीमठ में जो आपदा आई है, उसे वैज्ञानिक और सामाजिक आधार पर समझने की कोशिश की गई है.शहर का अध्ययन करने के लिए पांच जोन में बांटा गया था. इनमें उच्च प्रभावित, मध्यम प्रभावित, निम्न प्रभावित, सुरक्षित और वाह्य क्षेत्र शामिल हैं. मोहन सिंह पंवार बताते हैं कि जोशीमठ में जो भी निर्माण हुए हैं, उनमें कई में मानकों की अनदेखी की गई है. साथ ही यह भी देखा गया है कि जो भी घर बने हैं, उससे निकलने वाले पानी की निकास की उचित व्यवस्था नहीं की गई है. यह काम नगर पालिका को करना चाहिए था. लेकिन, नगर पालिका के अधिकारियों ने इस समस्या का नजरअंदाज किया.साथ ही पहाड़ को काटने से पहले आसपास के इलाकों की एक डिटैल स्टडी की जानी चाहिए थी.सुरंग बनाने या सड़क निर्माण के लिए किसी एक्सपर्ट से जरूर सुझाव लिए जाने चाहिए थी. पिछले कुछ सालों से जोशीमठ में धड़ल्ले से मकान बनाए गए हैं, जिससे पहाड़ी क्षेत्र पर बोझ भी बढ़ा है.’
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December 9, 2024