
उत्तराखंड उच्च न्यायालय को नैनीताल से बाहर स्थानांतरित किए जाने को लेकर शहर के वकील और व्यवसायियों का एक बड़ा वर्ग जहां विरोध में है, वहीं अन्य लोग इसके समर्थन में भी हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में 16 नवंबर को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में उच्च न्यायालय को नैनीताल से केवल 40 किलोमीटर दूर हल्द्वानी स्थानांतरित किए जाने पर सैद्धांतिक सहमति व्यक्त किए जाने के बाद से यहां की जनता इस मुद्दे को लेकर दो अलग-अलग गुटों में बंटी दिखाई दे रही हैउच्च न्यायालय को नैनीताल से हटाए जाने के समर्थन में खडे़ लोगों का कहना है कि अदालत में बड़ी संख्या में आने वाले फरियादियों के कारण शहर की जनता को सड़कों पर लगने वाले लंबे जामों को झेलना पड़ता है। इसके अलावा, ये फरियादी शहर में रुकेते हैं, जिससे स्थानीय जनता को परेशानी होती है । नैनीताल में अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव भी फरियादियों, न्यायाधीशों और वकीलों के लिए मुश्किल का कारण है। लोगों का कहना है कि नैनीताल में करीब 20 हजार वकील रहते हैं, जिससे शहर पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। हालांकि, यहां रहने वाले अधिवक्ता और व्यवसायी ऐसी बातों को खारिज करते हैं।वकील नितिन कार्की कहते हैं कि उच्च न्यायालय में प्रतिदन 150 नए मामले दाखिल किए जाते हैं और ये ही फरियादी यहां आते हैं। जिला अदालतों की तरह यहां सामान्य तौर पर प्रत्यक्षदर्शियों या मुकदमा लड़ने वाले व्यक्तियों को खुद न्यायालय के सामने पेश होने की जरूरत नहीं होती है। केवल अदालत द्वारा बुलाए जाने पर ही उन्हें आना होता है। उन्होंने कहा कि इतनी कम संख्या में वादियों या प्रतिवादियों का आना पर्यटक नगरी में यातायात बाधित नहीं कर सकता। वैसे भी नैनीताल में सबसे ज्यादा यातायात संबंधी समस्याएं गर्मियों, सप्ताहांतों या नए साल के दौरान आती हैं और उन दिनों में उच्च न्यायालय में छुटि्टयां होती हैं ।
तल्लीताल व्यापार मंडल के अध्यक्ष मारूति शाह ने कहा कि नैनीताल के पर्यटक स्थल होने के कारण यहां पर्यटक के रुकने के लिए मंहगे से लेकर सस्ते तक हर प्रकार के होटल हैं और खाने के लिए हर बजट के रेस्तरां हैं। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय में स्थित सस्ते खाने की कैंटीन के अलावा उसके चारों ओर छोटे-छोटे रेस्तरां हैं और इन जगहों पर काम करने वाले कर्मचारियों की आजीविका सीधे तौर पर अदालत पर ही निर्भर है ।