पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा है कि रिस्पना नदी को पुर्नजीवित करने के लिए वह देवभूमि विकास संस्थान के माध्यम से एक बार फिर अभियान को शुरू करेंगे। चार नवंबर को रिस्पना नदी के उद्गम स्थल से विधि विधान के साथ इस अभियान को शुरू किया जाएगा।देवभूमि विकास संस्थान द्वारा हरिद्वार रोड स्थित दून रेजीडेंसी होटल में आयोजित प्रेसवार्ता में उन्होंने कहा कि रिस्पना को ऋतुपर्णा बनाने की दिशा में किए गए संस्था के पूर्व के प्रयास को आगे बढ़ाने की जरुरत महसूस की जा रही है। शहर में पर्यावरण, जल संरक्षण, शिक्षा, खेल व संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए देवभूमि संस्था ने अनेक कार्य किए। जिसमें रिस्पना को पुर्नजीवित करने, गंगा नदी को स्वच्छ बनाए रखने की दिशा में प्रयास, पॉलीथिन उन्मूलन अभियान, कपड़े के बैग बांटने का बृहद अभियान, जल संचय पर होटलों में मितव्यता से पानी उपयोग करने की जागरुकता जैसे कार्यक्रम चलाए। अपने विधायक बनने पर सबसे पहली रैली 2002 अप्रैल में दून में जल चेतना रैली निकाली थी। समिति ने पिछले साल 65 हजार पेड़ दून समेत राज्य के कई अन्य जिलों में लगाए। इसमें पीपल व बरगद जैसे पेड़ शामिल हैं, जो कार्बन उत्सर्जन में मददगार है। आने वाली चार नवंबर को रिस्पना के उद्गम स्थल मसूरी के पास विधि विधान से रिस्पना को पुर्नजीवित करने का अभियान एक बार फिर तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा। सरकारी सहभागिता की भी जरुरत है। इसके लिए छोटी छोटी टोलियां बनाने के अलावा धार्मिक संगठन से जुड़े लोग, अध्यात्मिक गुरुओं को भी इस अभियान से जोड़ा जाएगा। 45 किलोमीटर की ऋषिपर्णा परिक्रमा भी लोगों को जागरुक करने के लिए निकाली जाएगी। जिसमें रिस्पना के पांच-पांच सौ मीटर परिधि के इलाके के लोगों को शामिल किया जाएगा। अभियान का दस्तावेजीकरण भी किया जाएगा। सौंग बांध रिस्पना नदी के पुर्नजीवन के लिए एक बड़ी उम्मीद है। वह लगातार सरकार का ध्यान लगातार इस ओर दिलाते रहेंगे कि सौंग बांध बनने की प्रक्रिया जल्द पूरी हो। उन्होंने बताया कि रिस्पना पर गिरने वाले सत्तर से अधिक बड़े नालों को टैप कराया जा चुका है। लेकिन अभी भी रिस्पना पर कई कॉलोनियों की नालियां, घरों का गंदा पानी सीधे गिर रहा है। जिस पर अभी काम किए जाने की जरुरत है। मौके पर मेयर सुनील उनियाल गामा, संस्थान अध्यक्ष सत्येन्द्र सिंह नेगी आदि मौजूद थे।