अंकिता भंडारी मर्डर केस के बाद उत्तराखंड में बड़ा बदलाव आने वाला है। वनंतरा रिजॉर्ट से लापता हुई अंकिता की खोजबीन में देरी के बाद राजस्व पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गए थे। हालांकि, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अंकिता के हत्यारोपियों को सलाखों के पीछे धकेलने के लिए एसआईटी का गठन कर दिया था, लेकिन मामले में तत्परता नहीं दिखाने पर प्रदर्शनकारियों ने कई बार उत्तराखंड में राजस्व पुलिस को कठघरे में खड़ा किया था।
अंकिता हत्याकांड के बाद विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी राजस्व पुलिस पर सवाल उठाए थे।हत्याकांड के बाद एक्शन में आई उत्तराखंड सरकार ने घोषणा की थी कि राजस्व पुलिस व्यवस्था को धीरे-धरे उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों से खत्म कर दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में बुधवार को आयोजित कैबिनेट बैठक में राजस्व पुलिस को हटाने पर मुहर लग गई है।
राजस्व पुलिस व्यवस्था को धीरे धीरे समाप्त करने का सैद्धांतिक निर्णय लेते हुए प्रदेश कैबिनेट ने छह नए पुलिस थाने और 20 चौकियों को मंजूरी दे दी है। धीरे- धीरे सम्पूर्ण राजस्व क्षेत्र में कानून व्यवस्था का काम रैग्यूलर पुलिस के हवाले कर दिया जाएगा।
पहले चरण में पर्यटन और आपराधिक गतिविधियों से जुड़े संवेदनशील क्षेत्रों को सिविल पुलिस में शामिल किया जाएगा। इस कड़ी में सरकार ने राजस्व क्षेत्रों में छह नए थाने व 20 पुलिस चौकियां खोलने का निर्णय लिया है। उत्तराखंड में राजस्व पुलिस व्यवस्था ब्रिटिश काल से चली आ रही है, लेकिन इन क्षेत्रों में पिछले कई सालों से आपराधिक गतिविधियां बढ़ने पर सरकार को ये क्षेत्र पुलिस के हवाले करने पड़ रहे हैं।