राज्य कृषि विपणन बोर्ड के प्रबंध निदेशक अपना और प्रदेश के 10 मंडी सचिवों का वेतन रोक दिया है। मंडी समितियों की आय बढ़ाने के लिए प्रयास नहीं करने पर यह कार्रवाई की गई है। लापरवाही की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए एमडी ने खुद का वेतन भी रोका है।
राज्य कृषि विपणन बोर्ड, मंडी निदेशालय की बोर्ड बैठक में कई तरह की अनियमितताएं सामने आई थी। जिसके आधार पर प्रबंध निदेशक निधि यादव ने कार्रवाई का पत्र जारी किया है। एमडी ने लिखा है कि चार सितंबर को बोर्ड मुख्यालय में मंडी समितियों की समीक्षा बैठक में सामने आया है कि आवक में अत्यधिक कमी हुई है।
कुछ को छोड़कर अन्य मंडी सचिवों ने आय बढ़ाए जाने के लिए अपने स्तर से विशेष प्रयास नहीं किए हैं। एमडी ने लिखा है कि मंडी समिति सचिव विकासनगर की ओर से कार्यों में लगातार शिथिलता बरते जाने से तीन माह से तैनात कार्मिकों के वेतन आदि की धनराशि की व्यवस्था भी बोर्ड मुख्यालय से की जा रही है। कुमाऊं मंडल की अनाज मंडियों में तैनात सचिवों के स्तर से भी मंडी की आय में बढ़ोत्तरी किए जाने का सार्थक प्रयास दिखाई नहीं दिया।
ऐसे में मंडी समिति विकासनगर, जसपुर, काशीपुर, बाजपुर, गदरपुर, रुद्रपुर, किच्छा, सितारगंज, नानकमत्ता, खटीमा के मंडी सचिवों को समिति की आय बढ़ाने के लिए एक माह का समय देते हुए सितंबर का वेतन अग्रिम समीक्षा तक प्रतिबंधित किया जाता है। प्रबंध निदेशक ने जागरण से बातचीत में बताया कि मंडी सचिवों की कार्यप्रणाली के चलते उन्होंने अपना भी एक माह का वेतन रोक दिया है।
धान खरीद से हो रहा गुजारा
मंडी प्रबंध निदेशक ने आय बढ़ाने के लिए सभी सचिवों को विशेष प्रयास करने को कहा है। कहा कि मंडी शुल्क खत्म होने का बहाना नहीं चलेगा। छोटी-छोटी मंडियां भी अपना खर्च उठा रही हैं। जबकि बड़ी मंडियां मात्र धान खरीद से गुजारा कर रही हैं। उन्होंने लंबे समय से ऑडिट नहीं करने पर भी फटकार लगाई है। कहा कि मंडियों में आपत्तियों का निस्तारण दो साल से नहीं किया गया है। जिसके लिए सचिव को ही कार्य करना है।
क्या कहती हैं प्रबंध निदेशक
राज्य कृषि विपणन बोर्ड रुद्रपुर के प्रबंध निदेशक निधि यादव ने बताया किमंडियों की आय बढ़ाने के लिए सचिव की ओर से खुद के प्रयास नहीं दिखाई दे रहे हैं। सिर्फ धान खरीद के भरोसे नहीं रहा जा सकता है। 10 मंडी सचिवों के साथ मैंने खुद का सितंबर माह का वेतन रोका है।