कोरोना महामारी ने जहां अस्पतालों में मरीजों का बोझ कई गुना अधिक बढ़ाया है। वहीं संक्रमण के चलते अस्पतालों में मृत्युदर भी काफी तेजी से बढ़ गई है। देश के सबसे बड़े चिकित्सीय संस्थान दिल्ली एम्स की बात करें तो यहां बीते कुछ महीनों में ही मरीजों की मौत 59 फीसदी तक बढ़ चुकी हैं।
महामारी आने से पहले यानी साल 2019 तक एम्स में औसतन 34 से 37 भर्ती मरीजों में से किसी एक की मौत होती थी, लेकिन अब साल 2020 से हर 21वां मरीज अस्पताल में दम तोड़ रहा है।
सिर्फ दिल्ली एम्स ही नहीं, बल्कि सफदरजंग और आरएमएल अस्पताल में भी हालात अलग नहीं है। इन दोनों अस्पतालों में स्थिति यह है कि हर 10वां मरीज मौत की चपेट में आ रहा है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में साल 2018 के दौरान 187,051 मरीजों को भर्ती किया गया था जिनमें से 5384 मरीजों की मौत हुई। यानी 2018 के दौरान अस्पताल में भर्ती 34 मरीजों में से किसी एक की मौत दर्ज की गई। यह स्थिति साल 2019 के दौरान बढ़कर 37 तक पहुंच गई थी। उस दौरान 188160 मरीज भर्ती हुए और 4988 मरीजों की मौत हुई थी लेकिन जनवरी 2020 में कोरोना महामारी से संक्रमित पहला मरीज देश में मिलने के बाद मार्च 2020 में संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ने लगी और एम्स में भर्ती मरीजों की मृत्युदर भी उसी रफ्तार से बढ़ी।
इस पर एम्स के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कोविड-19 के चलते मृत्युदर इसलिए भी बढ़ी है क्योंकि अस्पतालों में गंभीर मामले सबसे अधिक देखने को मिल रहे हैं। अधिकांश संक्रमित मरीजों की हालत इतनी गंभीर रही कि उन्हें बचाने का अवसर नहीं मिल पाया। एम्स में ही संक्रमित मरीजों के भर्ती होने के 48 घंटे के भीतर 10 फीसदी मृत्युदर दर्ज की जा चुकी है।
उन्होंने कहा कि जिन अस्पतालों को कोविड केंद्र बनाया गया था वहां मृत्युदर में काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। साल 2020 में एम्स में 109283 मरीज भर्ती हुए जबकि 5208 मरीजों की मौत हुई थी। वहीं इस साल जनवरी से लेकर जून माह तक 39961 भर्ती और 1921 लोगों की मौत हो चुकी है।
दूसरी लहर में बच्चों की मौत में आया सुधार
दिल्ली में करीब 100 साल से भी अधिक पुराने कलावती शरन बालरोग अस्पताल में दूसरी लहर के दौरान मौत को लेकर सुधार जरूर देखने को मिला है। साल 2020 में कोविड महामारी आने के बाद यहां भर्ती 18 में से एक मरीज की मौत हुई लेकिन इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने चिकित्सीय सेवा और इमरजेंसी पर ध्यान देना शुरू किया तो फिलहाल अस्पताल में भर्ती 21 मरीजों पर एक मौत दर्ज की जा रही है। महामारी से पहले इसी अस्पताल में मरीज और मौत का अनुपात 31:1 था।
सफदरजंग अस्पताल
साल भर्ती मरीज मौत अनुपात
2018 184166 12614 1:14.6
2019 188611 13562 1:13.9
2020 112120 11394 1:9.84
2021 51946 5097 1:10.19
आरएमएल अस्पताल
2018 94599 6788 1:13.93
2019 96342 6503 1:14.81
2020 58765 6132 1:9.58
2021 31526 3279 1:9.61
सुचेता कृपलानी अस्पताल
2018 40231 741 1:54.29
2019 43803 711 1:61.0
2020 22067 633 1:34.86
2021 13630 483 1:28.22
कलावती सरन अस्पताल
2018 32909 1043 1:31.55
2019 31442 1003 1:31.34
2020 16834 895 1:18.80
2021 7443 352 1:21
दिल्ली एम्स
2018 187051 5384 1:34.74
2019 188160 4988 1:37.72
2020 109283 5208 1:20.98
2021 39961 1921 1:20.80
(नोट: 2021 के सभी आंकड़े जून माह तक)