मंत्रिमंडल की शपथ के छह दिन बाद अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के बीच विभागों का बटवारा जल्द कर सकते हैं। समझा जा रहा है कि पिछली सरकार में भी मंत्री रहे धामी कैबिनेट के पांच सदस्यों को पुराने ही विभाग मिल सकते हैं। यद्यपि कुछ मंत्रियों के विभागों में बदलाव जरूर संभावित है। पिछली बार के वजनदार मंत्रियों के कुछ विभाग नए मंत्रियों को दिए जा सकते हैं।
23 मार्च को मुख्यमंत्री के साथ आठ कैबिनेट मंत्रियों ने ली थी शपथ
उत्तराखंड में गत 23 मार्च को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ आठ कैबिनेट मंत्रियों ने शपथ ली थी। उत्तर प्रदेश में इसके बाद शपथ ग्रहण हुआ और वहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को मंत्रियों के बीच काम का बटवारा भी कर दिया।
इधर, उत्तराखंड में अभी तक मंत्रियों को विभागों का आवंटन नहीं किया गया है। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री इस सिलसिले में अपना होमवर्क पूरा कर चुके हैं। अब केंद्रीय नेतृत्व की हरी झंडी मिलते ही वह भी अपने सहयोगियों में विभाग बांट देंगे।
अब मंगलवार को विभागों का बटवारा कर सकते हैं मुख्यमंत्री
राजनीतिक गलियारों में चर्चा रही कि मुख्यमंत्री गोवा में भाजपा सरकार के मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में शामिल होने के बाद देहरादून लौटकर विभागों के आवंटन के कार्य को अंतिम रूप दे देंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
मुख्यमंत्री सोमवार देर शाम गोवा से लौटे तो इसके बाद उन्होंने विधानसभा सत्र की तैयारियों के क्रम में विधायक दल की बैठक ली। देर रात तक प्रतीक्षा के बाद जानकारी मिली कि मुख्यमंत्री अब मंगलवार को विभागों का बटवारा कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री विधानसभा सत्र के लिए पहले ही कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को संसदीय कार्य मंत्री की जिम्मेदारी दे चुके हैं।
राज्य सचिवालय में भी सोमवार को मंत्रियों के मध्य विभागों के आवंटन को लेकर कई तरह की चर्चाएं रहीं। संबंधित विभागों के अधिकारी देर रात तक विभागों के आवंटन से संबंधित आदेश की प्रतीक्षा करते रहे।
सूत्रों का कहना है कि कुछ मंत्रियों की तरफ से मनपसंद विभागों को लेकर लगातार उच्च स्तर से पैरवी कराई जा रही है, लेकिन गेंद केंद्रीय नेतृत्व के पाले में होने से यह कितनी कारगर सिद्ध होगी, कहा नहीं जा सकता।
सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री मंगलवार शाम तक मंत्रियों को विभाग आवंटन से संबंधित निर्णय ले सकते हैं। अगर इसमें विलंब होता है तो फिर अधिक संभावना इसी बात की है कि विधानसभा सत्र के बाद ही मंत्रियों को विभाग मिल पाएंगे।
मंत्रियों को आवंटित किए गए आवास
उत्तराखंड में नवगठित सरकार के मंत्रियों को आवास आवंटित कर दिए गए हैं। पूर्ववर्ती सरकार में भी रहे पांच मंत्रियों ने अपने पुराने आवास बदलने में कोई रुचि नहीं दिखाई। उन्हें वही आवास आवंटित किए गए हैं, जो पिछली सरकार के समय उनके पास थे।
वहीं, इस बार मंत्रियों के लिए अभी तक नए वाहन नहीं खरीदे गए हैं। उन्हें पुराने मंत्रियों द्वारा इस्तेमाल किए गए वाहन ही उपलब्ध कराए गए हैं।
उत्तराखंड के मंत्रियों के लिए यमुना कालोनी में आवास बनाए गए हैं। जो भी मंत्री बनता है, उन्हें यहां आवास आवंटित किया जाता है। आवास में बिजली, पानी व आवास को सुसज्जित करने का कार्य राज्य संपत्ति विभाग करता है।
वहीं बिजली व पानी का किराया भी राज्य संपत्ति विभाग ही देता है। मंत्रियों से आवास का कोई किराया नहीं लिया जाता। यह व्यवस्था जरूर है कि आवास में रखे यदि किसी समान की कोई क्षति होती है तो उसका भुगतान उस आवास में रहने वाले मंत्री को करना पड़ता है।
नवगठित सरकार में पांच मंत्री पुराने हैं। इनमें सतपाल महाराज, गणेश जोशी, डा. धन सिंह रावत, रेखा आर्य व सुबोध उनियाल शामिल हैं। इन पांचों मंत्रियों ने राज्य संपत्ति विभाग से अपने पुराने आवास को ही बरकरार रखने को कहा है।
वहीं तीन नए मंत्रियों में से प्रेमचंद अग्रवाल को पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत, चंदन राम दास को पूर्व मंत्री बिशन सिंह चुफाल और सौरभ बहुगुणा को पूर्व मंत्री बंशीधर भगत का आवास आवंटित किया गया है।
नए आवास में जाएंगी विधानसभा अध्यक्ष
प्रदेश में विधानसभा अध्यक्ष का निवास भी यमुना कालोनी में है। अभी इस आवास में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और मौजूदा कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल रह रहे हैं। अब यह आवास विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण को आवंटित किया गया है।
मंत्रियों को मिले सचिवों की सीआर लिखने का अधिकार
प्रदेश में अफसरशाही के विभागीय मंत्रियों के प्रति रवैये को लेकर अक्सर बातें सामने आती रही हैं। पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र सरकार के दौरान भी मंत्रियों और विभागीय अधिकारियों के बीच टकराव देखने को मिला था। उस समय भी यह बात कही गई थी कि अधिकारियों पर तभी अंकुश लगाया जा सकता है, जब उनकी सीआर लिखने का अधिकार मंत्री को दिया जाए।
यद्यपि, उस समय इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया। यह जानकारी जरूर सामने आई कि मंत्री को पहले से ही विभागीय सचिव की सीआर लिखने का अधिकार है। मंत्री यदि सीआर लिखते हैं तो इसका अंतिम अनुमोदन मुख्यमंत्री करते हैं। यह बात अलग है कि इस व्यवस्था का अनुपालन नहीं हो रहा है। इस बार नई सरकार का गठन होते ही मंत्रियों ने इसके लिए आवाज उठानी शुरू कर दी है।
कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने तो पहली कैबिनेट बैठक के दौरान भी यह विषय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने उठाया। कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि विभागीय अधिकारियों की सीआर मंत्री लिखें, यह बात मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाई गई है।
उम्मीद है कि जल्द ही मुख्यमंत्री इस पर निर्णय लेंगे। कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि यह तय है कि अधिकारियों को काम तो करना ही पड़ेगा। जनता की अपेक्षा और सरकार के रोडमैप को धरातल पर उतारने का काम अधिकारियों पर निर्भर होता है।