उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकारी नौकरी में पूर्व सैनिकों को आरक्षण मामले में बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने पूर्व सैनिकों को केवल एक बार आरक्षण देने संबंधी शासनादेश को निरस्त कर दिया है। अदालत ने उन्हें हर बार सरकारी नौकरी में आरक्षण का लाभ देने का आदेश दिया है। वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज तिवारी एवं न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।सरकार के 22 मई 2020 के शासनादेश को पूर्व सैनिक दिनेश कांडपाल ने हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा था कि वर्ष 1993 के एक अधिनियम के तहत पूर्व सैनिकों, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आश्रितों और दिव्यांगजनों को क्षैतिज आरक्षण का प्रावधान है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस अधिनियम में कहा गया है कि उन्हें आरक्षण मिलेगा। इसमें यह नहीं कहा गया है कि आरक्षण केवल एक ही बार मिलेगा।मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के अग्निवीरों की सीधी तैनाती बाघ संरक्षण में भारतीय सेना या सेना से प्रशिक्षित कर्मियों की भागीदारी का एक अनूठा उदाहरण है। अग्निवीर भारतीय सेना के कठोर अनुशासन और प्रशिक्षण से गुजर चुके होते हैं। यह प्रशिक्षण उन्हें शारीरिक रूप से फिट, मानसिक रूप से मजबूत और किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार करता है।
यह गुण उन्हें वन गश्त और वन्यजीव अपराधों से निपटने में अत्यधिक प्रभावी बनाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व को अब एक अत्यधिक प्रशिक्षित और समर्पित बल की सुरक्षा मिलेगी। इससे अवैध शिकार की घटनाओं में कमी आने की उम्मीद है। अग्निवीरों की भर्ती से स्थानीय समुदाय भी संरक्षण प्रयासों में शामिल होगा, जिससे एक सकारात्मक माहौल बनेगा।

