उत्तराखंड के लिए अच्छी खबर है कि वर्ष 2019 से 2021 के बीच कुल वनावरण (फारेस्ट कवर) में 2.09 वर्ग किलोमीटर का इजाफा हुआ। हालांकि, इस बढ़त के बाद भी पांच जिले ऐसे हैं, जहां वनावरण में गिरावट दर्ज की गई। इनमें तीन जिलें पर्वतीय और दो मैदानी हैं।
भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआइ) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक बागेश्वर, चंपावत, टिहरी, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में बीते दो साल में वनावरण में 8.16 वर्ग किलोमीटर की कमी पाई गई है। इसका प्रमुख कारण वन विभाग के अधिकारी विकास कार्यों के लिए पेड़ों के कटान को मान रहे हैं। वनावरण में सर्वाधिक 3.71 वर्ग किलोमीटर की गिरावट ऊधमसिंह नगर में और इसके बाद 1.59 वर्ग किलोमीटर की गिरावट टिहरी में पाई गई।
अच्छी बात यह है कि राज्य के बाकी आठ जिलों में वनावरण में बढ़ोतरी हुई है। इन जिलों में वनावरण बढऩे से ही प्रदेश के कुल वनावरण में इजाफा हो पाया। वनावरण में सबसे अधिक 2.93 वर्ग किलोमीटर की बढ़ोतरी नैनीताल में और फिर 2.89 वर्ग किलोमीटर की बढ़ोतरी देहरादून में दर्ज की गई।
जिलावार वनावरण की स्थिति (वर्ग किमी में)
जिला, कुल वनावरण, अंतर (प्रतिशत में)
- अल्मोड़ा, 1719.80, 0.66
- बागेश्वर, 1262.67, -0.02
- चमोली, 2710.11, 0.68
- चंपावत, 1224.16, -1.39
- देहरादून, 161158, 2.89
- पौड़ी, 339671, 1.72
- हरिद्वार, 58394, -1.31
- नैनीताल, 304449, 2.93
- पिथौरागढ़, 208075, 0.95
- रुद्रप्रयाग, 114230, 0.13
- टिहरी, 206439, -1.59
- ऊधमसिंह नगर, 42808, -3.71
- उत्तरकाशी, 3036.15, 0.15