उत्तराखंड में पिछले 24 घंटे में बारिश से राहत रही, लेकिन बर्फबारी वाले गांवों में अभी भी दुश्वारियां बरकरार हैं। मसूरी में ओलों के साथ ही बर्फ की फांहे गिर रही हैं। वहीं, चमोली और उत्तरकाशी जिले के भारी बर्फबारी वाले गांवों के संपर्क मार्ग पर पैदल चलना भी मुश्किल हो रहा है। राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि अगले 24 घंटों में उत्तराखंड में आमतौर पर मौसम शुष्क रहेगा। राज्य के मैदानी क्षेत्रों के कुछ भागों विशेषकर हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर जनपदों में मध्यम से घना कोहरा छाये रहने की संभावना है। राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में कहीं-कहीं पाला पड़ने की भी संभावना है। कोहरे और पाले को लेकर यलो अलर्ट जारी किया गया है।
औली, मुनस्यारी, धारचूला, हर्षिल, नागटिब्बा, धनोल्टी, बुरांशखंडा, चोपता आदि भारी बर्फबारी वाले इलाकों में पर्यटकों ने बर्फ का खूब आनंद लिया। चमोली जिले में दिनभर हल्के बादलों के बीच धूप की आंख मिचौली चलती रही। औली-जोशीमठ मार्ग पर दिनभर पर्यटकों के वाहनों की भारी भीड़ रही। औली रोपवे का संचालन प्रारंभ हो गया है। शाम होने तक जोशीमठ में यात्री वाहनों की संख्या में भारी इजाफा देखा गया।
उधर, कुमाऊं मंडल के सभी छह जिलों में दिनभर हल्की धूप खिली रहने से कड़ाके की ठंड से कुछ राहत मिली। बागेश्वर जिले के कपकोट में दो फिट बर्फ की परत जमीं है। देहरादून और मसूरी में दिनभर धूप के कारण ठंड से राहत महसूस की गई। नैनीताल झील के चारों ओर सैलानी दिनभर धूप का आनंद लेते देखे गए।
चार दिन बाद उत्तरकाशी पहुंचे पर्यटकों के वाहन
उत्तरकाशी जिले में बर्फबारी के चलते बंद गंगोत्री राजमार्ग सुक्की टॉप सेगंगोत्री तक और यमुनोत्री हाईवे हनुमानचट्टी से जानकीचट्टी के बीच सुचारू रूप से नहीं खुल पाया है। मंगलवार को उपला टकनौर के हर्षिल क्षेत्र में चार दिनों से फंसे पर्यटक और उनके पांच से अधिक वाहन किसी तरह से निकल पाए। वहीं यमुनोत्री धाम से लगे गांव खरशाली, नारायण पुरी, जानकीचट्टी के ग्रामीणों को बनास से आगे पांच किमी बर्फ में पैदल चलना पड़ रहा है। उपला टकनौर क्षेत्र में गंगोत्री राजमार्ग बर्फबारी के चलते गत शनिवार को बंद हो गया था।
मंगलवार को बीआरओ की टीम ने राजमार्ग से बर्फ तो हटाई है। लेकिन, वाहनों की आवाजाही के लिए अभी तक यह मार्ग पूरी तरह सुचारू नहीं हो पाया है। वहीं हनुमानचट्टी से जानकीचट्टी मार्ग से बर्फ तो हटा दी गई है लेकिन, फिसलन बनी हुई है। खरशाली के प्यारे लाल उनियाल ने बताया कि वाहन चालक फिसलन होने के कारण आगे नहीं जा रहे हैं। मजबूरन ग्रामीणों को पांच किमी कंधो पर सामान रखकर पैदल जाना पड़ रहा है।