हाई कोर्ट के जस्टिस पंकज पुरोहित की एकल पीठ ने शुक्रवार को कहा कि बच्चे के भरण- पोषण के लिए केवल पिता ही नहीं, बल्कि माता-पिता दोनों ही जिम्मेदार हैं। यह फैसला सीआरपीसी की धारा 125 (पत्नियों, बच्चों और माता-पिता के पालने से संबंधित) में हालिया संशोधन और दोनों लिंगों के लिए ‘व्यक्ति’ शब्द की व्याख्या पर आधारित है। फैसले पर प्रतिक्रिया जताते हुए हाई कोर्ट के सीनियर वकील कार्तिकेय हरि गुप्ता ने कहा कि कोर्ट ने धारा 125 में ‘व्यक्ति’ शब्द का उपयोग करने के उद्देश्य के पीछे सही विधायी इरादे की व्याख्या की है। उन्होंने कहा कि मेरी राय में यह देश में अपनी तरह का पहला फैसला है।याचिका में 2013 के पारिवारिक अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें उसे अपने बेटे को रख-रखाव के रूप में 2000 रुपए प्रति माह देने का आदेश दिया गया था। वर्ष 1999 में अंशू गुप्ता की शादी उधम सिंह नगर के रहने वाले नाथू लाल से हुई थी। अंशू गुप्ता सरकारी शिक्षिका है। वर्ष 2006 में आपसी मतभेदों के बाद दोनों की शादी टूट गई। उस समय दोनों का एक बेटा था। याचिकाकर्ता के वकील विवेक रस्तोगी ने कहा कि पारीवारिक न्यायालय ने अंशू गुप्ता को बच्चे के रख-रखाव के लिए पैसे देने का आदेश दिया था।वकील विवेक रस्तोगी ने कहा कि नाथू लाल ने अपनी आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए बच्चे के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, पालन-पोषण और पालन का खर्च वहन करने में असमर्थता जताई। उसके बेहतर पालन के लिए याचिका दायर की। याचिका पर वर्ष 2013 में फैमिली कोर्ट ने अंशू गुप्ता को बच्चे को भत्ता देने का आदेश दिया। अंशू गुप्ता उस समय 27,000 रुपए मासिक वेतन पा रही थीं। उन्हें अपने बेटे को 2000 रुपए मासिक गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया गया।हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद इस मुद्दे पर बड़ा फैसला दिया। जस्टिस पंकज पुरोहित की कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा- 125 में हालिया संशोधन का जिक्र किया। उन्होंने संशोधन की चर्चा करते हुए कहा कि यह इस बात पर जोर देता है कि व्यक्ति शब्द में पुरुष और महिला दोनों शामिल हैं। कोर्ट ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एक माता-पिता लिंग की परवाह किए बिना पर्याप्त साधन न रखते हुए भी अपने बच्चे की अपेक्षा करते हैं। वे उस बच्चे को उचित भरण-पोषण देने से इनकार नहीं कर सकते हैं। बच्चे के माता-पिता दोनों नाबालिग बच्चे के रखरखाव के लिए एक समान जिम्मेदार हैं। इसलिए, केवल एक को इसका उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है।