उत्तराखंड के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) यानी ‘एक समान कानून’ की ड्राफ्ट रिपोर्ट को अंतिम रूप दे दिया गया है। इसे बनाने वाली कमेटी की प्रमुख (रिटायर्ड) जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई ने कहा कि जल्द ही इस रिपोर्ट को उत्तराखंड सरकार को सौंप दिया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, कमेटी की रिपोर्ट में लड़कियों के लिए शादी की उम्र बढ़ाने, लिव-इन संबंधों की जानकारी देना जरूरी बनाने, बहुविवाह पर रोक लगाने, तलाक पर महिला और पुरुष को समान अधिकार देने जैसे सुझाव हो सकते हैं।यूसीसी पर बनी समिति की प्रमुख ने कहा कि कमेटी के सभी सदस्य रिपोर्ट पर एकमत हैं। यह सबके हितों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इसके लिए कमेटी ने 63 बार बैठकें कीं और राजनीतिक दलों और धार्मिक नेताओं समेत सभी की राय ली गई। कुछ मुस्लिम देशों समेत अलग-अलग देशों के कानून को भी देखा गया। उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में प्रचलित पारंपरिक प्रथाओं को समझने की भी कोशिश की। कमिटी को मिले 2.31 लाख लोगों के सुझावों पर भी विचार हुआ। हमारा जोर लिंग समानता (Gender Equality) पर है। बच्चों, महिलाओं, दिव्यांगों- सभी की चिंताओं का ध्यान रखा गया। जहां भी जो विसंगतियां और भेदभाव हैं, उन्हें दूर करने की कोशिश की है। बीजेपी ने उत्तराखंड के अलावा हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भी अपनी पार्टी के घोषणा पत्र में UCC को लागू करने का वादा किया था। गुजरात में भी इसका वादा था। लॉ कमिशन ने भी लोगों से इस मसले पर 13 जुलाई तक राय देने को कहा है। केंद्र सरकार इस बार संसद के मॉनसून सत्र में UCC पर चर्चा के लिए बिल पेश कर सकती है, ताकि इस पर और संवाद हो सके। इस बारे में सियासत भी तेज हो गई है। यूसीसी के समर्थन और विरोध में कई पार्टियां सामने आ रही हैं। संकेत साफ है कि लोकसभा चुनाव तक यह मुद्दा गर्म रहेगा। बीजेपी शासित राज्यों से इसे ज्यादा हवा मिल सकती है।