यूनिफॉर्म सिविल कोड (Benefits of Uniform Civil Code) विशेषज्ञ समिति रात को अंतिम रूप देकर जल्द ही सरकार को सौंपने का ऐलान किया है। ड्राफ्ट समिति की सदस्य जस्टिस (रिटायर्ड) संजना प्रसाद देसाई ने आज दिल्ली में इस संबंध में घोषणा की। यूनिफॉर्म सिविल कोड देशवासियों के लिए कई महीनों में अहम साबित हो सकता है।
बुजुर्गों को भी मिलेगी सहूलियत
यूसीसी के तहत लिव इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन के प्रावधान पर भी विचार किया गया है। इसके साथी एक प्रस्ताव यह भी है कि परिवार की बहू और दामाद को भी अपने ऊपर निर्भर बुजुर्गों की देखभाल का जिम्मेदार माना जाएगा। राज्य के लिए यह प्रस्ताव भी शामिल किया जा सकता है कि किसी भी धर्म की महिला को संपत्ति में समान अधिकार मिलना चाहिए।
यूसीसी में बराबर के हक की वकालत
नियम के अनुसार मुस्लिम महिलाओं को अधिक अधिकार मिल सकेंगे। पैतृक संपत्ति के बंटवारे की स्थिति में पुरुष को महिला के मुकाबले दोगुनी संपत्ति मिलती है, लेकिन यूसीसी में बराबर के हक की वकालत की जा रही है। इस तरह के किसी भी धर्म से ताल्लुक रखने वाली महिलाएं संपत्ति में बराबर की हकदार होंगी
सभी धर्मों में गोद ली जाने वाली संतानों को कैसे होगा फायदा?
गोद ली जाने वाली संतानों के अधिकारों को लेकर भी बड़ा फैसला हो सकता है। हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत दत्तक पुत्र या पुत्री को भी जैविक संतान के बराबर करेगी हक मिलता है, लेकिन मुस्लिम, पारसी और यहूदी समुदायों के पर्सनल लॉ में बराबर हक की बात नहीं है। ऐसे में यूसीसी लागू होने से गोद ली जाने वाली संतानों को भी बराबर का हक मिलेगा।
दो से ज्यादा बच्चे होने पर वोटिंग का अधिकार नहीं दिया जाएगा
यूटीसी में एक्सपर्ट कमेटी ने जनसंख्या नियंत्रण कानून को भी सम्मिलित किया है। यदि राज्य में किसी भी चीज दो से ज्यादा बच्चे होते हैं तो उसे चुनाव में वोटिंग का अधिकार नहीं दिया जाएगा। इसके साथ ही उन्हें सरकार की तरफ से मिलने वाली सुविधाओं के लाभ से वंचित रखा जाएगा।
मुस्लिम समाज के लिए क्या होंगे बदलाव
यूसीसी के बाद तलाक के समान आधार लागू हो सकते हैं। इसके साथ ही यूसीसी में अनाथ बच्चों की गार्जियन शिप की प्रक्रिया को आसान और मजबूत बनाने का प्रस्ताव भी दिया गया है।